फैजाबाद : जिलाधिकारी डा0 अनिल कुमार के निर्देश पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने जनमानस में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से किशोरी बालिकाओं कोे स्वास्थ्य व पोषण हेतु महत्वपूर्ण जानकारी देते हुये बताया कि किशोरावस्था बचपन और व्यस्क जीवन के बीच की संवेदनशील अवस्था है, जिसमें कई शारीरिक, मानसिक और मनोवैज्ञानिक परिवर्तनों से किशोर व किशोरियों को गुजरना होता है. जिसमें किशोरियों का स्वस्थ व पोषित होना अत्यन्त आवश्यक है 10-19 वर्ष की अवस्था किशोरावस्था कहलाती है . किशोरवस्था के दौरान शारीरिक, मानसिक और मनोवैज्ञानिक परिवर्तन जल्दी-जल्दी होते है. शारीरिक विकास सही हो पाये, इसके लिये उचित पोषण और स्वास्थ्य देखभाल की आवश्यकता होती है. पर्याप्त पोषण और पूर्ण स्वास्थ्य सम्बन्धी देखभाल में कमी होने से कुछ स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्यायें उत्पन्न हो सकती है, जैसे- एनीमिया, कुपोषण, प्रजन्न अंगो में संक्रमण (इन्फेक्शन), कम आयु में विवाह, व गर्भधारण के कारण माँ-बच्चे के जीवन को खतरा होना. इसके लिये किशोरियों को संतुलित तथा पौष्टिक भोजन लेना चाहिए. भोजन में मौजूद अलग-अलग तत्व शरीर को शक्ति/ऊर्जा देते हैं तथा हमारे शरीरे को बीमारियों से लड़ने में सहायता करते है. शरीर में अलग-अलग कार्य करने वाले भोजनों में चावल, आलू, गुड़, चीनी, घी एवं तेल
शक्ति और ऊर्जा देने वाले, दाल, चना, मूंगफली, फलियां, दूध, अण्डे एवं मांस इत्यादि, वुद्धि और विकास में सहायक होने वाले तथा हरे पत्तेदार सब्जियो में पालक, मेथी, बथुआ एवं दाल तथा फल जैसे- पपीता, केला, संतरा, आंवला इत्यादि शरीर की रक्षा करने वाले संतुलित भोजन है भोजन मे बहुत अधिक मिर्च/मसाले का प्रयोग न करें. खाने में आयोडीन नमक का प्रयोग करें, आयोडीन एक आवश्यक पोषक तत्व है. यह हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिये आवश्यक है, आयोडीन की कमी होने से बच्चों की बौद्धिक क्षमता कम हो जाती है, आयोडीन की कमी से बच्चो व गर्भवती माताओं में गम्भीर स्वास्थ्य समस्यायें हो सकती है, जिनका कोई इलाज नही है.मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि अपने शरीर का सही तरीके से साफ-सफाई रखना चाहिए, व्यक्तिगत स्वच्छता द्वारा अपने शरीर में कीटाणुओं के प्रवेश को रोक सकते है तथा अपने आपको दस्त, फ्लू व अन्य बीमारियों से बचा सकते है. दस्त, डिसेंट्री, पेट मे कीड़े, श्वसन सम्बन्धी संक्रमण से बचने के लिये शौच के बाद और भोजन पकाने व खाने के पहले और बाद दोनो हाथो को रगड़ कर पानी और साबुन से धोएं, आंख का रोग, दांत में सड़ने से बचने के लिये चेहरे को पानी व साबुन से धोएं , भोजन के बाद दांत की सफाई करें, चर्म रोग, हुक वर्म, जूऐं और रिंग वर्म, डायरिया/दस्त से बचने के लिये नियमित स्नान करें, धुले वस्त्र पहने, शौचालय एवं मूत्रालय का प्रयोग करें. इसके अतिरिक्त किशोरावस्था के दौरान किशोरियों को मासिक धर्म के दिनो में विशेष साफ-सफाइियों का
ध्यान रखन बहुत जरूरी है क्योकिं जरा सी लापरवाही के कारण संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.