20 वर्ष से कम और 35 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं में गर्भाधारण की अवस्था में बढ़ जाते हैं खतरे मुख्य चिकित्साधिकारी ने किशोरियों के जीवन से जुड़ी हुई जानकारी के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुये कहा कि कानून के अनुसार किशोरियों का विवाह 18 वर्ष की आयु पूरी कर लेने पर ही होना चाहिए क्योंकि इससे पहले किशोरी तन और मन दोनों से विवाह की जिम्मेदारियां निभाने के लिये तैयार नही होती है, क्योंकि कम आयु (20 साल से कम) या फिर अधिक उम्र (35 साल से ज्यादा) में गर्भधारण करने से माँ तथा बच्चे के जीवन को खतरा हो सकता है. दोनो ही अवस्था में मातृ मृत्यु, कम वजन , मृत बच्चे के जन्म की संभावना बढ़ जाती है. 20 वर्ष से पहले गर्भधारण को टालने के उपाय ए0एन0एम0 आशा अथवा आंगनबाड़ी कार्यकत्री से समझे और प्राप्त किये जा सकते है. अधिक से अधिक ध्यान दें कि किशोरावस्था मे गर्भधारण न हो. यदि गर्भ ठहर भी जाये तो किशोरी की विशेष देखभाल करें, गर्भावस्था के दौरान, ए0एन0एम0 द्वारा कम से कम 3 बार जांच करवायें, आंगनबाड़ी कार्यकत्री के पास पंजीकृत तथा वजन की निगरानी करवायें, टी0टी0 के दो टीके लगवायें, आयरन की कम से कम 100 गोलियां खायें, गर्भावस्था के दौरान पर्याप्त भोजन व पौष्टिक आहार लें. रोज कम से कम एक अतिरिक्त आहार लें। खाने मे हरी पत्तेदार सब्जियां, अंकुरित दालें और रसेदार खट्टे फल जैसे नींबू, आंवला जरूर खायें क्योंकि इससे शरीर मे आयरन की मात्रा बढ़ेगी व गर्भ में पलने वाला बच्चा भी स्वस्थ होगा, कम से कम 8-10 घण्टे आराम करें, जहां तक संभव हो प्रसव अस्पताल मे करायें.
नवजात शिशु के लिए बेहद आवश्यक है माँ का दूध प्रसव के 1 घण्टे के भीतर ही नवजात को कराएं स्तनपान मुख्य चिकित्साधिकारी ने किशोरी मां व नवजात शिशु की देखभाल के बारे में जानकारी देते हुये बताया कि प्रसव के 1 घण्टे के भीतर ही नवजात स्तनपान कराना शुरू करें क्योकिं यह नवजात के लिए सर्वोत्तम आहार और सभी पोषक तत्व इसमें शिशु की जरूरत के अनुसार मौजूद है. पहलें छः माह तक शिशु को केवल मां का दूध पिलायें, पानी भी ना दें क्योकिं मां के दूध मे शिशु के लिये आवश्यक पानी होता है, 6 माह के बाद ही शिशु को ऊपरी आहार देना शुरू करें, छः महीने के बाद बच्चे की पोषण सम्बन्धी आवश्यकतायें केवल माँ के दूध से पूरी नही हो पातीं, इसलिए माँ के दूध के साथ-साथ बच्चे को ऊपरी आहार भी आवश्यक है। याद रहे कि ऊपरी आहार के साथ-साथ कम से कम दो वर्ष तक बच्चे को माँ का दूध पिलाते रहना जरूरी है,एक वर्ष तक के शिशु को सभी टीके लगवायें। पूर्ण टीकाकरण बच्चे को जानलेवा बीमारियों से बचाता है, जैसे कि- टी0बी0, गलघोंटू, काली, खांसी, टिटनेस, पोलियों और खसरा 9 माह पर खसरे के टीके के साथ विटाामिन ए की पहली खुराक (1/2चम्मच) दें। एक वर्ष के पश्चात् विटामिन ए की दूसरी से नौवीं खुराक छः-छः माह के अन्तराल पर जून व दिसम्बर माह मे होने वोल ‘‘बाल स्वास्थ्य पोषण माह‘‘ के दौरान दिलवायें.