न हाशिम रहे ज़िंदा न भास्कर दास.. ज़िंदा है सिर्फ मंदिर मस्जिद का मुकदमा
बताते चलें कि इस मुकदमे के मुख्य पक्षकारों में हिंदू पक्ष से मुख्य पक्षकार परमहंस रामचंद्र दास का पहले ही निधन हो चुका है उनके स्थान पर विश्व हिंदू परिषद की ओर से नियुक्त अधिवक्ता इस मुकदमे की पैरवी कर रहे हैं ,इस मुकदमे के एक अन्य प्रमुख पक्षकार निर्मोही अखाड़े के महंत भास्कर दास का भी निधन हो चुका है और अब उनके स्थान पर निर्मोही अखाड़ा इस मुकदमे की पैरवी कार रहा है . वहीं मुस्लिम पक्ष से भी मुख्य मुद्दई रहे रहे हाशिम अंसारी का इंतकाल हो चुका है और अब उनके बेटे इस मुकदमे की पैरवी कर रहे हैं . वही इस मुकदमे में दायर की गई 13 अन्य अपीलों में उत्तर प्रदेश के सेंट्रल शिया वक्फ बोर्ड ने भी समाधान की पेशकश करते हुए विवादित ढांचे पर अपना स्वामित्व जताते हुए इस मामले के समाधान की अपील की थी और सेंट्रल शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी कि अयोध्या में विवादित स्थल पर भगवान राम का मंदिर बने और उस स्थल से कुछ दूरी पर मुस्लिम बाहुल्य इलाके में मस्जिद का निर्माण करा दिया जाए . इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए 8 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई की जाएगी .
दोनों पक्षों ने किया दावा हमारे हक़ में होगा फैसला
8 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली राम मंदिर बाबरी मस्जिद मुकदमे की सुनवाई को लेकर सुन्नी वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता जफरयाब जिलानी ने यह दावा किया है उनके पास पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध है मुसलमानों का यह लीडिंग केस है और फैसला भी उनके पक्ष में ही होगा ,वही शिया वक्फ बोर्ड के बाबू को लेकर जफरयाब जिलानी ने कहा है कि उनके दावे का इस मुकदमे पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है . वही अयोध्या में बाबरी मस्जिद मामले के पक्षकार इकबाल अंसारी ने भी कहा है कि उन्हें कोर्ट पर पूरा विश्वास है और उन्हें इंसाफ मिलेगा उनका दावा मजबूत है, वहीं सुलह-समझौते के सवाल पर उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट का फैसला आने के बाद सबसे पहले निर्मोही अखाड़ा सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था मुस्लिम पक्षकार तो बाद में सुप्रीम कोर्ट पहुंचे इसलिए समझौते के प्रयासों को हिंदू पक्षकारों ने नकार दिया था . बताते चलें की सुप्रीम कोर्ट में इस मुकदमे की पहली सुनवाई 5 दिसंबर 2017 को हुई थी जिसमे सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमे की सुनवाई के लिए अगली तारीख 8 फ़रवरी तय की है और अब एक बार फिर सबूतों और गवाहों के आधार पर देश की सबसे बड़ी अदालत में देश के सबसे बड़े मुकदमे की सुनवाई होगी और इस मुकदमे के फैसले पर देश की सवा सौ करोड़ आबादी की नज़र है .