शिवसेना और विहिप करने जा रही है अयोध्या में लाखों रामभक्तों का जमावड़ा अयोध्या 30 अक्टूबर, 2 नवंबर 1990 और 6 दिसंबर 1992 की तरह एक बार फिर परीक्षा देने को तैयार है।इन तारीखों की घटनाएं विराजमान रामलला स्थल पर राम मंदिर निर्माण को लेकर चले आंदोलनों की बड़ी तारीख के रूप में दर्ज हो चुके हैं और अब एक बार फिर इस 24-25 नवंबर को जहां विश्व हिंदू परिषद संत सम्मेलन में एक लाख राम भक्तों को एकत्र कर रहा है, तो वहीं शिवसेना हजारों की संख्या में राम भक्तों को एकत्र कर अयोध्या में ही एक बड़ा कार्यक्रम करने जा रही है।इतिहास की तरफ देंखें तो 6 दिसंबर 1992 जिस दिन विवादित ढांचा ध्वस्त हुआ था, उस दिन अयोध्या की धरती पर विहिप के साथ ही शिवसेना के कार्यकर्ता भी मौजूद थे, ठीक वैसी ही स्थिति 24-25 नवंबर को भी उतपन्न होने जा रही है, विश्व हिंदू परिषद का शिवसेना के कार्यक्रम को लेकर और शिव सेना का विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रम को लेकर सहयोगात्मक भाव है और समर्थन भी प्राप्त है लेकिन तल्खियां भी झलकती है।
सन 90 में भी कार्तिक मेले के दौरान ऐसे ही एक आयोजन के दौरान हुई थी हिंसा चली थी गोलियां मारे गए थे लोग दोनों संगठनों का कहना है, कि राम मंदिर निर्माण के मार्ग को प्रशस्त करने के लिए जो भी कार्यक्रम होगा, उसका स्वागत है, वैसे शिवसेना के राज्यसभा सांसद का दावा है, कि कानून बनाकर ही राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है और यदि केंद्र सरकार संसद में कानून लाती है तो भाजपा और शिवसेना ही नहीं कांग्रेस के भी कई सांसद इसका समर्थन करेंगे और मंदिर निर्माण के कानून के पक्ष में 400 से अधिक सांसदों का समर्थन मिलेगा।दरअसल 24 नवंबर को अयोध्या के लक्ष्मण किला में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे आशीर्वाद समारोह में शिरकत करेंगे।शाम को सरयू आरती में भी शामिल होने का कार्यक्रम है। 25 नवंबर को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे रामलला का दर्शन करेंगे तो दोपहर 12 बजे प्रेस वार्ता करने के बाद 3 बजे मुंबई रवाना हो जाएंगे।