बुधवार को यहां जारी एक बयान में रणबीर सिंह शर्मा ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 166 में साफ है कि अगर कोई भी कर्मचारी अपनी दी गई जिम्मेदारी को पूरा नहीं करता है तो उसके विरूद्ध केस दर्ज किया जा सकता है। रेवाड़ी प्रकरण में सरकारी कर्मचारियों ने पीडि़ता के परिवार की 30 घंटे तक सुनवाई नहीं की। जिसके चलते सभी कर्मचारियों के विरूद्ध धारा 166 के तहत मामला दर्ज किया जाना चाहिए था। जिसमें सरकार अभी तक कोताही बरत रही है।
शर्मा ने कहा कि दिल्ली में हुए निर्भया कांड के बाद केंद्र सरकार द्वारा भारतीय दंड संहिता की धारा 166-ए को लागू किया गया है। जिसमें कहा गया है कि दुष्कर्म या अन्य किसी जघन्य अपराध का शिकार महिला अगर देश के किसी भी पुलिस थाने में जाती है तो वहां की पुलिस न केवल एफआईआर दर्ज करेगी बल्कि पीडि़ता को प्रारंभिक सहायता भी प्रदान करेगी। रेवाड़ी प्रकरण में सभी कर्मचारी व अधिकारी धारा 166-ए के तहत भी सीधे तौर पर दोषी है।
शर्मा ने इस मुद्दे पर राजनीति करने वाले नेताओं को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर तथा विधायक कुलदीप बिश्नोई ने राजनीतिक रोटियां सेकते हुए डाक्टरों की मंजूरी के बगैर न केवल पीडि़ता के साथ मुलाकात की बल्कि अपनी इस मुलाकात को मीडिया के माध्यम से सार्वजनिक भी किया। भारतीय दंड संहिता की धारा 228-ए में यह साफ है कि पीडि़ता के साथ मुलाकात करके बार-बार उसके साथ हुई घटना के बारे में पूछना उसे मानसिक रूप से प्रताडि़त करना है।
इस मुलाकात का किसी भी माध्यम से प्रचार करना अपराध की श्रेणी में आता है। रेवाड़ी रेप कांड में उक्त सभी नेताओं ने यह घिनौना कृत्य किया है। शर्मा ने हरियाणा के गृहसचिव व पुलिस महानिदेशक से उपरोक्त नेताओं के विरूद्ध मामला दर्ज करने की मांग करते हुए कहा कि अगर सरकार ने अपनी जिम्मेदारी का पालन नहीं किया तो राष्ट्रीय लोकस्वराज पार्टी इस मुद्दे को लेकर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर करेगी।