अभी तक हरियाणा में कांग्रेस प्रभारी महासचिव का पद करीब आठ माह खाली रहने के बाद करीब एक पखवाडा पहले कर्नाटक के प्रभारी महासचिव केसी वेणुगोपाल को हरियाणा का प्रभार सौंपा गया था। इससे पहले पिछले साल अप्रेल में कमलनाथ को मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने के बाद से यह पद खाली चल रहा था।
हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर
इधर हरियाणा में कांग्रेस कई गुटों में बंटी हुई है। हाल में प्रदेश विधानसभा की जींद सीट के लिए उपचुनाव में मजबूती के साथ मुकाबला करने के लिए राहुल गांधी ने जहां अखिल भारतीय कांग्रेस के मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला को प्रत्याशी तय किया वहीं हरियाणा के सभी कांग्रेस नेताओं को सुरजेवाला को जिताने के अभियान में जुटने के निर्देश भी दिए।
आजाद ने कर्नाटक में दिखाया कमाल,अब हरियाणा की बारी
जींद उपचुनाव जीतने के लिए कांग्रेस एकजुट तो दिखाई देती है लेकिन मुख्यमंत्री पद पर दावेदारी के चलते प्रदेश में बने पांच गुटों का आगे भी एक बने रहना मुश्किल है। ऐसे में कर्नाटक विधानसभा चुनाव में अपना रणनीतिक कौशल दिखा चुके गुलाम नबी आजाद को प्रदेश का प्रभार सौंपा गया है। आजाद सभी गुटों को एक छत के नीचे लाकर विधानसभा चुनावों में पार्टी को जीत दिलाने की मशक्कत करेंगे। केसी वेणुगोपाल से पहले कमलनाथ ने प्रदेश कांग्रेस की गुटबाजी समाप्त कराने का प्रयास किया था लेकिन उन्हें आंशिक सफलता मिली थी। कमलनाथ ने प्रदेश
कांग्रेस नेताओं को एक दूसरे पर सार्वजनिक रूप से की जाने वाली छींटाकशी रोक दी थी।
वर्ष 2004 से 20.14 तक लगातार दस साल सत्ता में रहने के बाद अभी कांग्रेस प्रदेश में तीसरे नम्बर की पार्टी है। हाल में मेयर के चुनाव कांग्रेस पार्टी के चिन्ह पर नहीं लड सकी और अलग-अलग नेताओं ने अपनी पसंद के निर्दलीय प्रत्याशियों को समर्थन दिया था लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। संगठन का हाल बेहद खस्ता है। प्रदेश में जिला और ब्लॉक इकाइयां नहीं है।