पहले भी विवादों में रही थी भर्ती
मनोहर सरकार के दूसरे कार्यकाल के दौरान भी डॉक्टर्स की यह भर्ती विवादों में रही थी। स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के तीन बार मंजूरी दिए जाने के बाद भी मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस भर्ती पर रोक लगाए रखी थी। मामला दिल्ली दरबार तक जाने के बाद सीएमओ ने फाइल निकाली और पीजीआई, रोहतक में डॉक्टरों की भर्ती के लिए लिखित परीक्षा का आयोजन किया गया।
कुल 447 खाली पदों पर नियमित भर्ती का फैसला हुआ था। लिखित परीक्षा में मैरिट और उम्मीदवारों की शैक्षणिक व अन्य योग्यताओं के नंबरों के हिसाब से मैरिट पर चयन होना था।कुल 380 डॉक्टरों के चयन के नतीजे घोषित किए गए।
मनचाहे जिले में ड्यूटी ज्वाइन करने की सुविधा
सरकार ने इन डॉक्टरों को नियुक्ति-पत्र उस समय जारी किए, जब देश में कोरोना दस्तक दे चुका था। मौजूदा हालातों में डॉक्टर ड्यूटी ज्वाइन करने को तैयार नहीं हैं। अभी तक केवल 71 ही डॉक्टर्स ने ड्यूटी ज्वाइन की है। वह भी तब जब सरकार ने नियमों में छूट दी। सरकार ने तय किया है कि नवचयनित डॉक्टर किसी भी जिले के किसी भी अस्पताल में ड्यूटी ज्वाइन कर सकते हैं।
सरकार द्वारा संबंधित अस्पताल में ही डॉक्टर के नियुक्ति आदेश जारी कर दिए जाएंगे। बशर्ते संबंधित अस्पताल में डॉक्टरों के पद रिक्त हों। स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने बताया कि डॉक्टरों की कमी पूरा करने के लिए भर्ती की गई है। कांट्रेक्ट पर भी 350 के करीब डॉक्टर लगाने की मंजूरी दी हुई है।
हरियाणा की अधिक खबरों के लिए क्लिक करें…
पंजाब की अधिक खबरों के लिए क्लिक करें…