हरियाणा में वर्ष 1994 में लागू किए गए कानून के अनुसार ग्राम पंचायतों को अपने स्तर पर ही मोबाइल कंपनियों को टावर के लिए मंजूरी देने का अधिकार दिया गया था। गांवों में ऐसी जगह पर टावर लगाए जा रहे थे, जिसकी वजह से लोगों को परेशानी भी होती थी और टावर की वजह से बीमारियां फैलने का भी खतरा बना रहता था।
विधानसभा में जब पंचायती राज मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ इस संशोधित विधेयक को जब पेश किया तो कांग्रेस के विधायक कर्ण सिंह दलाल ने इसका विरोध किया। दलाल ने सदन में दावा किया कि रिलायंस जैसी बंडी कंपनियों के दबाव में सरकार यह कानून ला रही है। उन्होंने कहा कि सरकार यह कानून पारित करने से पहले वह रिपोर्ट दिखाए जिसमें टावर लगाने की वजह से आम लोगों के जीवन को खतरा बढ़ा हो।
धनखड़ ने कहा कि यह कानून इसलिए बनाया गया है ताकि मोबाइल कंपनियों के टावर गलत जगहों पर न लगें। उन्होंने कहा कि टावर की एवज में मिलने वाला किराया या धनराशि का 75 प्रतिशत हिस्सा ग्राम पंचायत, 15 प्रतिशत ब्लाक समिति और 10 प्रतिशत जिला परिषद को विकास कार्यों के लिए मिलेगा।