फरीदकोट

पंजाब सरकार ने गुरूग्रंथ साहिब की बेअदबी के विरोध में प्रदर्शन करते सिखों पर पुलिस फायरिंग की जांच सीबीआई को सौंपी

अमरिंदर सिंह सरकार ने पिछली अकाली-भाजपा सरकार द्वारा गठित जस्टिस-रिटायर्ड जोरावर सिंह आयोग की रिपोर्ट खारिज कर दी थी…

फरीदकोटJul 30, 2018 / 04:06 pm

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(पत्रिका ब्यूरो,चंडीगढ): पंजाब के फरीदकोट जिले के गांव कोटकपुरा व बेहबलकलां में गुरूग्रंथ साहिब की बेअदबी के विरोध में प्रदर्शन करते सिखों पर 14अक्टूबर 2015 को पुलिस फायरिंग की घटना की जांच सीबीआई को सौंपने का फैसला किया गया है। मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने सोमवार को यहां ऐलान किया कि जस्टिस-रिटायर्ड रणजीत सिंह आयोग की सिफारिश के आधार पर सिखों पर पुलिस फायरिंग की जांच सीबीआई को सौंपने का फैसला किया गया है। पुलिस फायरिंग में दो सिख मारे गए थे और कुछ अन्य घायल हुए थे।

जांच आयोग की रिपोर्ट होगी विधानसभा में पेश

राज्य सरकार ने इससे पहले गुरूग्रंथ साहिब की बेअदबी के कुछ मामलों में जांच भी सीबीआई को सौंपी थी। जस्टिस रणजीत सिंह आयोग ने अभी पूरी रिपोर्ट नहीं सौंपी है। आयोग ने पिछली 30 जून को रिपोर्ट का पहला हिस्सा सौंपा था। राज्य सरकार ने पहले हिस्से की कानूनी समीक्षा के बाद विरोध प्रदर्शन करते सिखों पर पुलिस फायरिंग की जांच सीबीआई को सौंपने का फैसला किया। मौजूदा कांग्रेस सरकार ने ही गुरूग्रंथ साहिब की बेअदबी और उससे संबंधित पुलिस फायरिग की घटनाओं की जांच के लिए रणजीत सिंह आयोग का गठन किया था। आयोग की रिपोर्ट विधानसभा में रखने का ऐलान भी किया गया है।

 

सरकार ने बढाया पीडितों का मुआवजा

आयोग ने मृतकों के परिजनों को 75-75 लाख रूपए का मुआवजा देने की सिफारिश की थी लेकिन सरकार ने इसे बढाकर एक-एक करोड़ रूपया कर दिया है। इसके साथ ही परिवार के एक-एक सदस्य को नौकरी दी जाएगी। आयोग ने गंभीर घायल को 35 लाख रूपए मुआवजा देने की सिफारिश की थी लेकिन सरकार ने घायल को 50 लाख रूपए मुआवजा देने का फैसला किया है। हमेशा के लिए अक्षम हुए सरदार अजीत सिंह का मुआवजा 40 लाख से बढाकर 60 लाख किया गया है। उन्हें सरकार की ओर से एक परिचारक और इलाज का खर्च भी मुहैया कराया जाएगा। अन्य घायलों को 10-10 लाख रूपए की मदद दी जाएगी।

 


यह कहा गया आयोग की रिपोर्ट में

मुख्यमंत्री ने कहा कि जो लोग अपना जीवन खो चुके हैं उन्हें वापस नहीं लाया जा सकता लेकिन आम लोगों को न्याय का अहसास कराने के लिए ये कदम उठाए गए है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आयोग ने अपनी पहली रिपोर्ट में कोटकपुरा के तत्कालीन एसडीएम और पुलिस फायरिंग के लिए जिम्मेदार दिखाई देने वाले पुलिस अधिकारियों पर उचित कार्रवाई की सिफारिश की है। कई पुलिस अधिकारी गुरूग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामलों और कोटकपुरा व बेहबलकला में की गई पुलिस फायरिंग से सम्बन्धित मामलों की सही जांच में नाकाम पाये गए है। आयोग ने इन अधिकारियों के खिलाफ कानून के मुताबिक कार्रवाई की सिफारिश की है। आयोग ने इंस्पेक्टर परदीप सिंह,सब इंस्पेक्टर अरियरजीत सिंह,एसएसपी विक्रमजीत सिंह की भूमिका का जिक्र किया है। बाजाखाना थाने में दर्ज एफआईआर नम्बर 130 में इनको अभियुक्तों के रूप में शामिल करने की सिफारिश की गई है। इनकी भूमिका की गहराई से जांच की जानी चाहिए।

 

आयोग ने एसएसपी चरणजीत सिंह शर्मा के गनमेंन,कांस्टेबल शमशेर सिंह,हरप्रीत सिंह,गुरप्रीत सिंह परमिंदर सिंह और लाडोवाल थाना प्रभारी हरपाल सिंह की भूमिका की जांच करने की सिफारिश की है। आयोग ने कहा है कि बेहबल कलां की फायरिंग के समय इनके हाथ में असाॅल्ट राइफलें थीं। आयोग ने कमांडो पुलिस के लाठीचार्ज की जांच की सिफारिश भी की है। केप्टैन अमरिंदर सिंह सरकार ने अप्रेल 2017 में गुरूग्रंथ साहिब व अन्य धर्मग्रंथों के अपमान की घटनाओं की जांच के लिए रणजीत सिंह आयोग का गठन किया था। अमरिंदर सिंह सरकार ने पिछली अकाली-भाजपा सरकार द्वारा गठित जस्टिस-रिटायर्ड जोरावर सिंह आयोग की रिपोर्ट खारिज कर दी थी।

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