scriptबैंक हड़ताल से 200 करोड़ का लेनदेन प्रभावित | 200 crore transactions affected by bank strike in farrukhabad | Patrika News

बैंक हड़ताल से 200 करोड़ का लेनदेन प्रभावित

locationफर्रुखाबादPublished: May 31, 2018 02:21:08 pm

जिले में बैंक कर्मचारियों ने वेतन वृद्धि की मांग को लेकर सभी बैंकिंग संस्थानों में दो दिन की हड़ताल कर दी है।

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बैंक हड़ताल से 200 करोड़ का लेनदेन प्रभावित

फर्रुखाबाद. जिले में बैंक कर्मचारियों ने वेतन वृद्धि की मांग को लेकर सभी बैंकिंग संस्थानों में दो दिन की हड़ताल कर दी है। उसके साथ एटीएम में भी रुपया नहीं डालने दिया गया है जिससे जनता परेशान हो गई है। हड़ताल से करीब 200 करोड़ का लेनदेन व 50 करोड़ का समाशोधन प्रभावित हुआ है। पूर्व नोटिस के आधार पर बैंक कर्मियों ने दो दिन की हड़ताल शुरू कर दी। बैंक कर्मियों ने शहर में जलूस निकालकर वित्त मंत्री के खिलाफ नारेबाजी की। हड़ताल के फलस्वरूप स्टेट बैंक सहित सभी बैंकों में ताले तक नहीं खुले। हड़ताल की सफलता पर अधिकारी-कर्मचारी एकता जिंदाबाद के नारे गूंजते रहे।


यूनाइनेट फोरम आफ बैंक यूनियंस के आह्वान पर बैंक कर्मियों की दो दिवसीय हड़ताल दूसरे दिन भी जारी रही। स्टेट बैंक, बैंक आफ बड़ौदा, इलाहाबाद बैंक, बैंक आफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, यूनियन बैंक, सिंडीकेट बैंक, इंडियन बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, ओरियंटल बैंक आफ कामर्स, आंध्रा बैंक, यूनाइटेड बैंक, विजया बैंक, बैंक आफ महाराष्ट्र की शाखाओं में दिन भर ताले नहीं खुले। सभी बैंकों के कर्मचारी रेलवे रोड स्थित स्टेट बैंक के सामने एकत्र हुए। बैंक कर्मियों ने शहर में जुलूस निकालकर अपनी मांगों के समर्थन में नारेबाजी की। जुलूस चौक, घुमना बाजार, लालगेट बस स्टेंड, ठंडी सड़क होते हुए आईडीबीआई बैंक पर समाप्त हुआ।

कर्मचारी नेता केदार शाह ने कहा कि सरकार द्वारा की गई दो प्रतिशत की वेतन वृद्धि हास्यास्पद है। देश में अधिकांश योजनाओं को लागू कराने का काम बैंक कर्मियों के जिम्मे है। इसके बावजूद उन्हें वास्तविक पारिश्रमिक नहीं मिल रहा। इस अन्याय के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी। इन दो दिन की हड़ताल से जिनका बेंको से रोजाना का लेनदेन होता था उनके सामने बहुत बड़ी समस्या पैदा हो गई है। जिन एटीएम में रुपया था उनके बाहर लोगों की भीड़ लगी दिखाई दे रही है। जनता इस एटीएम से लेकर दूसरे एटीएम के चक्कर लगा रही है। सभी बैंक कर्मचारी एक स्वर में कहा कि यदि मांगे जल्द नही मानी गई तो जनता को होने वाली परेशानियों के लिए भारत सरकार जिम्मेदार होगी। जब नोटबन्दी के दौरान कर्मचारियों से 24 घण्टे काम लिया जाता था उसी समय सरकार को हमारे वेतन के बारे सोचना चाहिए था लेकिन नही सोचा अब लड़ाई शुरू हो गई है।

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