जिससे राजू राजपूत फूला नहीं समा रहा है, क्योंकि आगे मुस्लिमों का त्यौहार बकरा ईद आ रही है। जिस पर राजू राजपूत बकरे को भेजकर अच्छा मुनाफा कमाना चाहता है। वही मुस्लिम धर्म गुरुओं व शहर काजी का मानना है कि हम कुर्बानी किसी जानवर की दे सकते है। यह केवल अपने जानवरों की अच्छी कीमत वसूल करने के लिए जालसाजी कर रहे है। किसी जानवर पर अल्हा या मोहम्मद लिखा हो तभी उसकी कुर्बानी समान होती है। अलग से कुर्बानी देने वाले को कोई फायदा नहीं होता है।