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बैक में नहीं खुला खाता, तो छात्रों ने रोड पर लगाया जाम

locationफर्रुखाबादPublished: Aug 21, 2018 06:09:47 pm

Submitted by:

Mahendra Pratap

बैंक में बजीफा के लिए खाता न खुलने से खफा होकर छात्रों ने सड़क पर हंगामा कर जाम लगा दिया।

bank employee not open account of students for scholarship

बैक में नहीं खुला खाता, तो छात्रों ने रोड पर लगाया जाम

फर्रुखाबाद. जनपद के कस्बा जहानगंज में बैंक में बजीफा के लिए खाता न खुलने से खफा होकर छात्रों ने सड़क पर हंगामा कर जाम लगा दिया। बैंक अधिकारियों का कहना है कि बैंक कर्मी नहीं है इस कारण खाता नहीं खोले जा रहे है। लेकिन हकीकत यह है कि जिस समय बैंक में कर्मचारी मौजूद थे। रोजाना छात्र बैंक के चक्कर लगा रहे थे।

कर्मचारी उनको भीड़ अधिक होने की बात कहकर दूसरे दिन आने के लिए कहते थे। इस प्रकार की हरकत से छात्र नाराज हो गए आज जब एक सभी छात्रों ने एक साथ बैंक मैनेजर से खाता खुलवाने के लिए कहा तो उन्होंने कर्मचारी नही है आज खाता नही खुल सकता यह कहकर बाहर जाने को कहा।फिर क्या था उन्होंने जाम लगा दिया।

जहानगंज थाना क्षेत्र के कस्बा स्थित आर्यावर्त ग्रामीण बैंक में पुत्तुलाल गोमती देवी आदर्श विधालय के कक्षा 9 से 12 तक के छात्र पंहुचे और अपना खाता खुलाने की बात कही। बैंक कर्मियों ने खाता खोलने को आना कानी की। छात्रों ने कहा कि आगामी 30 अगस्त को अंतिम तिथि है। जल्द खाता नहीं खुला तो उनका बजीफा नहीं आएगा। इससे आक्रोशित होकर छात्र सड़क पर आ गए उन्होंने बैंक के बाहर साइकिलें सड़क पर खड़ी कर जाम लगा दिया।

यह है पूरा मामला

मामले की सूचना पर उपनिरीक्षक सुरेन्द्र सिंह मौके पर आ गए। जाम के 2 घंटे बाद बैंक मैनेजर मौके पर आए फिर भी बच्चों का खाता खोलने से मना कर दिया। बैंक मैनेजर ज्योती प्रताप सिंह ने बताया कि उनके बैंक कर्मी ट्रेनिग पर गए है। जल्द अलग से काउंटर खोलकर खाते खोले जाएंगे। अपनी हक की लड़ाई लड़ रहे छात्रों ने एक आदर्श मिशाल पेश की जब एक एम्बुलेंस आ गई। उसको निकलने का रास्ता नहीं था। जिस पर छात्रों ने सड़क से कुछ देर के लिए हटकर एम्बुलेंस को रास्ता देकर निकाल दिया।

जाम लगाए छात्रों ने इस काम से जाम में फंसे अन्य लोगों ने उनकी तारीफ की है। उन्होंने कहा कि जबतक लिखित अस्वाशन नहीं मिल जाता जाम इसी प्रकार से लगा रहेगा लेकिन छात्रों ने किसी भी मरीज को जाम में नही फसने दिया। यह एक पढ़े लिखे होने का सबूत है। ग्रामीण बेंको का यह पहला कारनामा नहीं है क्योंकि ज्यादातर ग्रामीण बैंकों में दलालों के माध्यम से काम किया जाता है लेकिन यहां पर मामला दूसरा था क्योंकि छात्रों से दलाली तो हो नहीं सकती थी। उसी बजह से उनको दौड़ाया जाता था।

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