
फर्रुखाबाद. जिले में बिजली विभाग की लापरवाही से हर साल दर्जनों किसान अपनी फसलों को आग के मुंह में जाते देखते हैं। उसके बाद आग से बर्बाद होने वाले किसानों के हाथों में दो तीन हजार की चेक थमा दिया जाता है। जिससे उनके परिवारों का साल भर गुजारा भी नही हो पाता है। गंगापार क्षेत्र में बाढ़ के समय पानी से फसल बर्बाद हो जाती है। उसके बाद चैत्र का महीना ही उनके जीवन में खुशहाली लाती है लेकिन उनके चेहरों पर बिजली का खौफ साफ दिखाई दे रहा है।
विकास खण्ड राजेपुर के दर्जनों गांव वाले इसी बात से परेशान है कि कही हवा तेज चली तो खेतों के ऊपर फसल को छूते हुए बिजली के तार निकले हुए हैं। हवा से तार आपस मे रगड़ने से पकी हुई फसल में आग लगने का डर सता रहा है। जबकि झूलते हुए तारों को लेकर कई वर्षों से जिले के आलाधिकारियों से शिकायत दर्ज करा चुके है लेकिन लगभग 40 वर्षों से वही पुराने तारों पर 11 हजार बोल्टेज की बिजली दौड़ाई जा रही है। गर्मी के सीजन में यदि कोई तार टूटकर फसलों पर गिरता है तो हजारों बीघा गेहूं की फसल जलकर राख बन जाती है जिसमें मुख्य रूप से कनकापुर, बहादुरपुर, दहेलिया, महमदपुर गढ़िया, तुसौर, डबरी, जैनापुर सहित दर्जनों गांव है।
उधर बिजली विभाग के अधिकारियों से बिजली से फसल के नुकसान को लेकर हर साल बात की जाती है। तो उनका एक ही कहना रहता है कि जहां जहां पर बिजली के तार खराब हैं उनको बदलवाया जा रहा है लेकिन बदलते नहीं दिखाई देते हैं। उधर किसानों का कहना है कि यदि पश्चिम से आग लगने पर हवा का रुख पूर्व की तरफ हुआ तो पलक झपकते ही किसान एक एक दाने के लिए मोहताज हो जायेगा। यह कहानी राजेपुर विकास खण्ड की नही बल्कि पूरे जिले के सभी विकास खण्डों में दिखाई दे रही है।
बिजली विभाग ने हर गांव में बिजली लाइन तो पहुंचा दी है लेकिन उस गांव के बिजली के लोड को उन्ही पुराने तारों पर उन गांवों का लोड रख दिया है। जिस कारण अधिक लोड होने के कारण पुराने जर्जर तार बीच से टूट कर खेतो में खड़ी फसलों पर गिर जाते है। यदि बिजली विभाग के अधिकारी उन तारों को हटवाकर नए तारों पर लोड डालती तो शायद किसानों को बिजली का डर नही होता और चैन की नींद ले सकते थे, लेकिन किसान साल भर की मेहनत को बर्बाद नही करना चाहता है। इसलिए 24 घण्टे खेतों को ही अपना आशियाना बनाये हुए हैं।
Published on:
06 Apr 2018 01:58 pm
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