सीएमओ कार्यालय में तीन डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई जाती है। हफ्ते में एक दिन इस वह सभी डॉक्टरों मिलकर विकलांग मरीजों को देखकर उनकी विकलांगता कितने प्रतिशत है वह अपनी रिपोर्ट लगाते है। उसके बाद उसी आधार पर उनको विकलांगता का प्रमाण पत्र दिया जाता है। सुबह से ही पूरे जिले से विकलांग लोग किसी न किसी साधन से सीएमओ कार्यालय पहुंचे सभी ने अपने अपने फार्म भरकर तैयार कर लिए लेकिन लगभग चार घण्टे इंतजार के बाद जब कोई भी डॉक्टर कार्यालय नहीं पहुंचा तो उन्होंने मुख्य मार्ग पर जाम लगा दिया।
उनकी मांग थी की पहले तो डॉक्टर समय से आते नहीं जब आते है तो दो घण्टे में जितने मरीजों देख पाते उसके बाद चले जाते है। जिससे कई मरीज ऐसे है जो कई महीनों से चक्कर काट रहे है। लेकिन डॉक्टरों ने कोई
कार्य नहीं किया है। दूसरी तरफ जब डॉक्टरों से यह कहा जाता है कि साहब हम एक महीने से दौड़ रहे है तो उनका कहना होता है कि हमारे फायदे के लिए दौड़ रहे हो वह तो तुम्हारा काम है तो दौड़ेगा कौन।
यदि डॉक्टर समय से अपनी ड्यूटी करने लगे तो किसी प्रकार की विकलांग लोगों को परेशानी नहीं होगी। वह पहले अपना काम खत्म करके उसके बाद काम करने आते है। जिससे इस भीषण गर्मी में एक तो शरीर से विकलांग दूसरी तरफ पारा 44 के पार पहुंच जाता है। जिस कारण हम लोगों को बैठना मुश्किल हो जाता है। कई विकलांग लोगों की तबियत खराब होने लगी थी। लेकिन डॉक्टर नहीं आये सभी लोगों का सब्र का बांध टूट गया उसके बाद हम लोगों ने डॉक्टरों को बुलाने के लिए जाम लगा दिया है। यदि कोई विकलांग के साथ दूसरा सहयोगी नहीं आया तो वह घर जाने को लेट हो गया तो उसकी मदद कौन करेगा। जाम के बाद फतेहगढ़ कोतवाल राजेश पाठक अपने फोर्स के साथ मौके पर पहुंचे उन्होंने उन लोगों को समझाकर शांत कराया। लेकिन विकलांग नहीं मान रहे थे। फिर उन्होंने सीएमओ से बात की तो लगभग दो बजे डॉक्टर सीएमओ कार्यालय पहुंचे तब कही जाकर जाम खुल सका था।