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चार लोगों का गिरोह चला रहा था नकली नोट छापने का काला कारोबार, चढ़े पुलिस के हत्थे

fake notes फर्रुखाबाद में नकली नोट छापने के गिरोह का खुलासा हुआ है। चार लोगों के गिरोह में दो नोट छापने का काम करते थे। जबकि दो मार्केट में बेचने के लिए जाते थे। अपर पुलिस अधीक्षक ने बताया कि सर्विलांस और कोतवाली टीम की संयुक्त कार्रवाई में अंतर्जनपदीय गिरोह के सदस्य पकड़े गए

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पुलिस की गिरफ्त में चारों अभियुक्त

fake notes black business उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी। जब मुखबिर की सूचना पर दो लोगों की गिरफ्तार किया गया। जिनके पास से नकली नोट बरामद हुए। सख्ती से पूछताछ के बाद पूरे मामले का खुलासा हुआ। पकड़े गए अभियुक्तों की निशानदेही पर मौके पर पहुंची तो पुलिस को नकली नोट छापने की मशीन चलती मिली। अपर पुलिस अधीक्षक ने बताया कि पकड़े गए अभियुक्त शातिर किस्म के हैं। जिनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा रही है।‌ मामला मोहम्मदाबाद कोतवाली क्षेत्र का है।

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fake notes black businessउत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में मुखबिर की सूचना पर जाजपुर गोवा जाने वाले अंडरपास के पास से सर्वेश कुमार पुत्र जगन्नाथ निवासी ग्राम बिलसड थाना राजा का रामपुर एटा, विपिन कुमार पुत्र राजेंद्र यादव निवासी टिकुरा नगला थाना मेरापुर जनपद फर्रुखाबाद को गिरफ्तार किया। पूछताछ के दौरान पकड़े गए अभिव्यक्ति ने अपने दो अन्य साथियों के नाम बताएं। जिनकी निशानदेही पर पुलिस ने दीपक यादव पुत्र रामेश्वर सिंह निवासी नदौरा थाना मेरापुर फर्रुखाबाद, यज्ञमित्र पुत्र देवेंद्र सिंह निवासी नदौरा थाना मेरापुर फर्रुखाबाद को गिरफ्तार किया। दोनों नोट छापने का कार्य कर रहे थे। मौके से पुलिस को 1 लाख 40 हजार 9 सौ रुपए के नकली नोट बरामद हुआ। इसके साथ ही नोट छापने वाली मशीन, कागज, प्रिंटर सहित अन्य सामग्री भी बरामद हुई।

क्या कहते हैं अपर पुलिस अधीक्षक?

अपर पुलिस अधीक्षक ने बताया कि कुल चार लोगों की गिरफ्तारी हुई है। जिसमें दो नोट छापने का काम करते थे और दो मार्केट में नोट को चलाने में लगे रहते थे। जिन्होंने एक महीना पहले ही काम शुरू किया है। मौके से 500, 100, 200 के नोट, एक प्रिंटर जेके एक्सेल बोर्ड सुपर व्हाइट बॉन्ड पेपर, 5 मोबाइल और एक कट्टर बिजली बोर्ड भी बरामद हुआ है।

कैसे बनाते थे नकली नोट?

छताछ के दौरान पकड़े गए अभियुक्तों ने बताया कि रंगीन प्रिंटर से जाली नोट बनाकर असली के रूप में छापने का काम किया जाता है। कम कीमत पर लोगों के बीच बेच दिया जाता था। नोट बनाने का काम घर में रखे गए रंगीन प्रिंटर के माध्यम से होता है। यज्ञमित्र और दीपक जाली नोटों को बनाते थे और सर्वेश कुमार और विपिन कुमार नोट को बाहर जान वाले को सप्लाई देते थे।