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सरकारी आलू खरीद पर लगा पलीता, केंद्र पर नहीं ले जा रहे किसान

locationफर्रुखाबादPublished: Mar 14, 2018 03:48:58 pm

Submitted by:

Mahendra Pratap

उत्तर प्रदेश सरकार ने आलू किसानों के मीडियम साइज का आलू खरीदने के लिए 549 रुपया निर्धारण किया था।

Farmers not selling potato on aloo mandi in farrukhabad

फर्रुखाबाद. उत्तर प्रदेश सरकार ने आलू किसानों के मीडियम साइज का आलू खरीदने के लिए 549 रुपया निर्धारण किया था। किसानों के आलू को व्यापारियों ने ऊंचे दामों में खरीददारी करने से 13 दिन बीतने के बाद भी आज तक कोई किसान अपना आलू सरकारी क्रय केंद्र पर लेकर नहीं पहुंचा है। जिसका कारण एशिया की सबसे बड़ी आलू मंडी सातनपुर में किसानों के आलू को व्यापारी 800 रुपये से लेकर 915 रुपये में खरीद रहे है। सरकारी आलू खरीद को लेकर जिले के किसानों के लिए प्रचार प्रसार भी नहीं किया गया है।

किसालों की लागत भी नहीं हो पा रही वसूल

किसानों को यह भी नहीं मालूम है कि सरकारी आलू खरीद के लिए कहां पर केंद्र बनाया गया है। दूसरी तरफ किसानों ने अभी तक जो नुकसान हुआ है। वह इस साल आलू की बिक्री से कहीं न कहीं राहत मिल रही है। आलू के रेट बढ़ने से पिछले वर्ष की अपेक्षा कोल्ड की तरफ न जाकर मंडी में अपना अपना आलू बेच रहा है। उसी बजह से अभी कोल्ड 50 प्रतिशत खाली पड़े है क्योंकि किसानों को खेतों में लगाई लागत उधार के रुपये से लगाते है जो उनको देने होती है। मंडी में आलू बेचने से उनको नकद रुपया मिल जाता है। बहुत से किसान अपनी बेटी का विवाह इसलिए रोककर रखते है कि जब आलू बिक जाएगा तो बेटी का विवाह धूमधाम से करेंगे। वह किसान का सपना पूरा हो रहा है। सरकार ने जो रेट तय किया है। उससे किसानों की लागत भी बसूल नहीं हो पा रही है।

आखिर महंगा क्यों हुआ आलू

प्रदेश सरकार के आलू निर्धारण के बाद से लगातार आलू के दाम बढ़ते जा रहे है। जब तक किसी सरकार ने खरीद शुरू नहीं की थी तो व्यापारी अपनी मन मर्जी से आलू की खरीद करते थे। जिस कारण आलू किसान अपनी लागत भी निकाल पाता था। आज किसान के घरों में खुशहाली दिखाई दे रही है। जिसका मुख्य कारण सरकारी आलू खरीद का शुरू होना चाहे सरकार एक कुंटल आलू भी न खरीद सके लेकिन किसानों को उसका भरपूर लाभ मिल रहा है। यदि इसी प्रकार से किसानों की फसलों का अच्छा दाम मिलता रहेगा तो आने वाले सालो में किसान गरीब नहीं रहेगा।

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