किसान मो.अंसारी ने बताया कि दिल्ली, इंदौर, मुंबई, जयपुर,बिहार,उत्तराखंड सहित अन्य प्रदेशों में आम का बिजनेस होता है, लेकिन लाॅकडाउन के चलते आम मंडियों तक कैसे पहुंचेगा? आढ़ती भी कारोबार को लेकर आश्वस्त नहीं हैं। बागबान सिपाही लाल का कहना है कि लॉकडाउन से पहले आम पर मौसम की मार पड़ी, उसके बाद जब दवा के छिड़काव का समय आया, तो लॉकडाउन हो गया. दवाइयां मिली नहीं। इससे फसल खराब हुई। बागबान आनंद सिंह बताते है कि जिले में दशहरी, बबई, चैसा, लंगड़ा आम, जाली बंद, फजली, चपटा, सफेदा, नवाब पसंद और रसभरी समेत अन्य वैरायटी के आमों की पैदावार होती है। मार्च माह से तैयारी शुरू करते है और चार महीने में आम का बाग तैयार हो जाता है। इस बार आम ज्यादा हुआ है, पर 30 प्रतिशत कैरी कच्चा आम टूट कर गिर गया।
महंगा बिक सकता है आम- कच्चे आम की फसल 30 से 40 प्रतिशत पेड़ों से टूट चुकी है। बची हुई 70 प्रतिशत फसल में तमाम प्रकार की बीमारी का डर किसानों को सता रहा है। जैसे तैस अगर फसल तैयार हो जाती है तो आम की फसल का महंगा होना तय है। फल का राजा माना जाने वाला दशहरी आम 100 से 200 तक बिकने की उम्मीद है। आम के सीजन में अंतिम तक चलने वाला आम फजली और चौसा होता है। जिसकी कीमत इस वर्ष 70 रुपए से लेकर 120 रुपए तक बिक सकता है। रसभरी और चपटा आम भी बाजार में कम कीमत में नही बिकेगा क्योंकि उसके दाम बाजारों में 60 रुपए से 140 रुपए में बिकने की उम्मीद की जा रही है। देशी आम जो दशहरा के बाद पेड़ों से टपकने लगता है, वह 30 रुपए से लेकर 80 रुपए में बिकने की उम्मीद किसान लगा रहे है।