गंगा व रामगंगा की बाढ़ का पानी गांव के संपर्क मार्ग पर तेज धार के साथ बह रहा है। बदायूं मार्ग पर ढाई फिट से अधिक पानी बहने से छोटे वाहनों का आवागमन प्रभावित हो गया है। रामगंगा के जलस्तर में लगातार हो वृद्धि से बाढ़ का पानी कई गांवों में भर गया है। पीड़ित जागकर रातें काट रहे हैं। गंगा व रामगंगा की बाढ़ के पानी से तटवर्ती गांव की अधिकांश भूमि जलमग्न हो गई है और खेत में खड़ी फसलें कई दिनों से बाढ़ के पानी में डूबी हुई हैं। जिससे फसलें खराब हो गई हैं। ग्रामीणों को बाढ़ से खुद को सुरक्षित रखने के लिए स्कूल या किसी अन्य ऊंचे स्थान पर समय व्यतीत की सलाह दी। बाढ़ पीड़ितों को प्रशासन की ओर से जो राहत सामग्री मुहैया कराई जा रही है वह ऊंट के मुंह मे जीरा साबित हो रही है। ग्रामीणों के सामने मवेशियों के चारे की समस्या विकराल हो गई है। झोपड़ियों में भरा भूसा बाढ़ के पानी में सड़ गया है। पशुओं को चारा नसीब नहीं हो रहा है। पथरामई गांव में पशुओं के लिए पांच-पांच किलो भूसा बांटा गया, जो कि बहुत कम है। वहीं बाढ़ की आपदा से जूझ रहे अन्य गांवों के पीड़ित कहीं ग्राम प्रधान पर आरोप लगा रहे हैं तो कहीं जिला प्रशासन को कोस रहे हैं।
रामगंगा का जलस्तर 137.50 मीटर पर पहुंच गया है। खोह हरेली रामनगर से रामगंगा में 46544 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। इससे रामगंगा के जलस्तर में और वृद्धि होने की आशंका बढ़ गई है। गंगा का जलस्तर 137.00 मीटर पर स्थिर है। नरौरा बांध से गंगा में 200483 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है।