गांव के अनार सिंह ने गंगा की धार के करीब पहुंचते ही मकान तोड़ लिया है, लेकिन घरेलू सामान रखने के लिए भूमि न होने से उन्होंने बल्लियों के सहारे छप्पर रखकर घरेलू सामान उसपर रख दिया है। गांव में मंजीत, अनार सिंह और स्कूल में नरवीर, बृजपाल, अलवर व राजू परिवार सहित ठहरे हैं। बेघर ग्रामीणों को बसाने के लिए भूमि आवंटित नहीं की गई है, जिससे बेघर ग्रामीण बंगला गांव के पास कई स्थानों पर झोपड़ियों व पॉलीथिन के सहारे गुजर कर रहे हैं।
तीसराम की मड़ैया और खेतों में डेरा जमाए रिंकू, रामरहीश, कुसमा, लीलावती, मोनू, सुरेश, राजेश,
श्रीदेवी, आलोक, बलबीर, पुष्पा, पिंटू, गुड्डू, बब्लू, सुनीता, विनोद आदि ग्रामीण जुकाम व बुखार से पीड़ित हैं। स्वास्थ्य टीम न जाने से पीड़ित झोलाछाप से इलाज कराने को मजबूर हैं। राजेश बताते हैं कि गांव में एक बार स्वास्थ्य विभाग की टीम दवा देने आई थी, उसके बाद किसी ने उनकी सुध नहीं ली।
वहीं प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. आरिफ सिद्दीकी ने बताया कि स्वास्थ्य टीम भेजकर पीड़ितों को दवाइयां वितरित कराई जाएंगी। करीब दो महीने से बाढ़ की विभीषिका से जूझ रहे तीसराम की मड़ैया गांव के मवेशियों का टीकाकरण भी नहीं हुआ है। गांव के मंजीत बताते हैं कि गांव में कोई भी मवेशी के टीका लगाने नहीं आया है। गलाघोंटू रोग से कई मवेशियों की मौत के बाद विभाग ने राम प्रसाद नगला में मवेशियों का टीकाकरण शुरू करा दिया है। सोमवार को कई मवेशियों के टीका लगाया गया है।