फर्रुखाबाद

भूख और प्यास से तीन दिन में निकला 40 गोवंशों का दम, बीमार पशुओं का नहीं होता उपचार

– भूख और प्यास से तड़प कर तीन दिन में 40 गोवंशों ने तोड़ा दम
– छह महीने में 400 से ज्यादा गोवंशों की मौत
– बीमार पशुओं का नहीं होता उपचार
– गौशाला में ही दफना दी जाती हैं गोवंशें

फर्रुखाबादJul 08, 2019 / 01:45 pm

Karishma Lalwani

भूख और प्यास से तीन दिन में निकला 40 गोवंशों का दम, बीमार पशुओं का नहीं होता उपचार

फर्रुखाबाद. गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित कराने के लिए विभिन्न संगठन मांग उठाते हैं, लेकिन गौशाला में गोमाता की दुर्दशा दयनीय है। अस्थायी आश्रय स्थल पर बंद पशुओं का बुरा हाल है। भूख और गर्मी के चलते बेसहारा गोवंश की जान पर बन आई है। सरकारी गौशाला में गायों के मरने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। फर्रुखाबाद के कटरी धर्मपुर गौशाला में पिछले छह महीनों में देखभाल के अभाव में लगभग 400 से अधिक गोवंश की मौत (Cattle Death) हो चुकी है। वहीं पिछले तीन दिनों में 40 गोवंशों ने दम तोड़ा।
बीमार पशुओं का नहीं होता उपचार

गौशाला में गोवंशों की देखरेख के लिए शासन ने एक करोड़ रुपये की धनराशी उपलब्ध कराई। लेकिन सरकार द्वारा गौशाला के लिए दिए गए अनुदान का इस्तेमाल एक बार भी चारे के लिए नहीं किया गया। इस कारण तीन दिन में 40 गायों की मौत हो गई। इनमें से कई के शरीर पूरी तरह सड़ चुके हैं। गौशाला में खाने के लिए रखी गई नांदे खाली रहती हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि गायों की देखभाल में लापरवाही बरती जाती है। उन्हें समय से चारा नहीं दिया जाता जिस कारण एक-एक कर गाय दम तोड़ रही हैं। बीमार पशुओं का उपचार भी नहीं किया जाता। मृत पशुओं को गौशाला में ही दबा दिया जाता है।
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कान्हा गौशाला में 18 गायों की मौत

फर्रुखाबार के गौशाला जैसा ही हाल लखनऊ-प्रयागराज हाईवे किनारे बने कान्हा गोवंश का है। इस गौशाला का शुभारंभ छह फरवरी को किया गया था। लेकिन इसके एक महीने बाद ही भूख और प्यास से यहां 18 गोवंशों की मौत हो गई। वहीं पिछले तीन महीने में 40 गोवंशों की मौत हो चुकी है। यहां कुल 485 गोवंश हैं। सांड और बछड़ों को अलग रखा जाता है। गांयों के लिए अलग व्यवस्था की जाती है। गोवंशों की बढ़ती मौत के बावजूद शासन-प्रशासन गहरी नींद में सो रहा है।
कन्नौज में छह गोवंशों ने तोड़ा दम

भूख और प्यास से तड़प कर कन्नौज में पिछले एक माह में 6 गोवंशों ने दम तोड़ दिया। भीषण गर्मी में समय पर चारा न मिलने से तड़प कर गोवंशों ने दम तोड़ दिया।
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