फर्रूखाबाद के चौक में हिंदू जागरण मंच के कार्यकर्ताओं ने फिल्म के निर्देशक संजय लीला भंसाली पर इतिहास से छेड़छाड़ का आरोप लगाते हुए उनका पुतला फूंका। हिंदू जागरण मंच के कार्यकर्ताओं ने कहा कि सेंसर बोर्ड इस फिल्म को रिलीज करने की इजाजत न दे।
साक्षी महाराज बोले- इतिहास से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं
उन्नाव से भाजपा सांसद साक्षी महाराज ने भी पद्मावती फिल्म को लेकर संजय लीला भंसाली पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि रानी पद्मावती भारतीयों की मां, बहन- बेटी हैं। फिल्म पद्मावती में उनके साथ जो भद्दा मजाक किया जा रहा है, वह रुकना चाहिए। साथ ही उन्होंने शासन-प्रशासन को चेताते हुए कहा कि प्रशासन को चाहिए कि वो फिल्म को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दे। उन्होंने कहा कि किसी भी सूरत में इतिहास से छेड़ाछाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
उन्नाव से भाजपा सांसद साक्षी महाराज ने भी पद्मावती फिल्म को लेकर संजय लीला भंसाली पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि रानी पद्मावती भारतीयों की मां, बहन- बेटी हैं। फिल्म पद्मावती में उनके साथ जो भद्दा मजाक किया जा रहा है, वह रुकना चाहिए। साथ ही उन्होंने शासन-प्रशासन को चेताते हुए कहा कि प्रशासन को चाहिए कि वो फिल्म को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दे। उन्होंने कहा कि किसी भी सूरत में इतिहास से छेड़ाछाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
चित्तौड़ की रानी पर आधारित है फिल्म पद्मावती
फ़िल्म में चित्तौड़ की प्रसिद्ध राजपूत रानी पद्मिनी का वर्णन किया गया है, जो रावल रतन सिंह की पत्नी थीं। यह फ़िल्म दिल्ली सल्तनत के तुर्की शासक अलाउद्दीन खिलजी का 1303 ई. में चित्तौड़गढ़ के दुर्ग पर आक्रमण को भी दर्शाती है। पद्मावत के अनुसार, चित्तौड़ पर अलाउद्दीन के आक्रमण का कारण रानी पद्मिनी के अनुपम सौन्दर्य के प्रति उसका आकर्षण था। अन्ततः 28 जनवरी 1303 ई. को सुल्तान चित्तौड़ के क़िले पर अधिकार करने में सफल हुआ। राणा रतन सिंह युद्ध में शहीद हुये और उनकी पत्नी रानी पद्मिनी ने अन्य स्त्रियों के साथ आत्म-सम्मान और गौरव को मृत्यु से ऊपर रखते हुए जौहर कर लिया।
फ़िल्म में चित्तौड़ की प्रसिद्ध राजपूत रानी पद्मिनी का वर्णन किया गया है, जो रावल रतन सिंह की पत्नी थीं। यह फ़िल्म दिल्ली सल्तनत के तुर्की शासक अलाउद्दीन खिलजी का 1303 ई. में चित्तौड़गढ़ के दुर्ग पर आक्रमण को भी दर्शाती है। पद्मावत के अनुसार, चित्तौड़ पर अलाउद्दीन के आक्रमण का कारण रानी पद्मिनी के अनुपम सौन्दर्य के प्रति उसका आकर्षण था। अन्ततः 28 जनवरी 1303 ई. को सुल्तान चित्तौड़ के क़िले पर अधिकार करने में सफल हुआ। राणा रतन सिंह युद्ध में शहीद हुये और उनकी पत्नी रानी पद्मिनी ने अन्य स्त्रियों के साथ आत्म-सम्मान और गौरव को मृत्यु से ऊपर रखते हुए जौहर कर लिया।
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