फटे जूते पहनने से है इंकार जिले के 1855 परिषदीय विद्यालयों के एक लाख 69 हजार 243 बच्चों के लिए राज्य स्तर से तय संस्थाओं ने जूते-मोजे व बैग की आपूर्ति जिले में भेजी थी। जूते गाजियाबाद, मोजे कोलकाता और बैग लखनऊ से लाए गए। जनपद स्तर पर जूते अक्टूबर, मोजे नवंबर और बैग की सितंबर 2017 में आपूर्ति आई। आपूर्ति करने के बाद सत्यापन और फिर विद्यालय स्तर पर बच्चों को वितरण में भी लगभग एक माह लग गया। छह महीनों में ही जूते फट गए और मोजे गायब हो गए। बच्चों के नंगे पाँव और फटी पुरानी चप्पलें जूते-मोजों में भ्रष्टाचार के छेद जगजाहिर कर रहे हैं। बच्चे बता रहे हैं कि जूते फट गए इसलिए वे इन्हें पहनकर नहीं आ रहे हैं।
क्या कहा भाजपा विधायक सुनील शाक्य ने उधर बेसिक शिक्षा अधिकारी अनिल कुमार के बेशर्मी भरा बयान सुनिए। वह कहते हैं कि जूते स्कूल जाने-आने के लिए दिए गए थे। जूते पहनकर खेत पर जाया जाएगा, तो जूते फटेंगे ही। भाजपा के वरिष्ठ विधायक सुशील शाक्य का कहना है कि शासन की मंशा तो अच्छी रही पर अधिकारीयों ने स्थानीय स्तर पर गड़बड़ियाँ की है। इसकी जांच कराई जायेगी और जो दोषी होंगे उनके खिलाफ कार्रवाई होगी।
गिर चुकी है भाजपा सरकार सपा जिलाध्यक्ष नदीम फारूकी का कहना है कि भाजपा ने भ्रष्टाचार की हद कर दी है। जब मासूम बच्चों के जूतों और मोजों में भी कमीशनबाजी होने लगे, तो इसके बाद यह आसानी से समझा जा सकता है कि सरकार और भाजपा कितनी गिर गयी है। जिला कांग्रेस के उपाध्यक्ष वसीमुज्ज्मा खान का कहना है कि बच्चों के जूतों में कमीशनबाजी भ्रष्टाचार की निम्नतम सीमा है। अच्छा है कि भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन की पोल बहुत जल्दी खुल गयी।