पीडि़ता जब थाने पहुंची तो पुलिस ने उसके साथ घटी घटना के तह तक जाने की बजाए उसे और पीडि़त परिवार को वहां से भगा दिया। नाबालिग से दुराचार के बाद पुलिस द्वारा युवक पर कोई कार्रवाई नहीं करने से युवक पीडि़ता और उसके परिवार को धमकी दे रहा है। अगर समय रहते पुलिस मुकदमा दर्ज कर डॉक्टरी परीक्षण करा लेती तो पूरी घटना दूध की तरह साफ हो जाती, परन्तु पुलिस ने ऐसा कुछ नहीं किया है।
पुलिस के कारनामे पहले जैसे ही दिखाई देते हैं। सरकार भले ही बदल गई हो, लेकिन पुलिस के काम करने का तरीका वही पुराना है, जिस कारण लोग परेशान हो रहे हैं। आखिर पुलिस उसकी रिपोर्ट क्यों नहीं लिख रही है यह कहना मुश्किल है। पीडि़त परिवार बहुत ही गरीब है। जब पीडि़त परिवार की थाने में कोई सुनवाई नहीं हुई तो परिवार परेशान होकर शनिवार को एसपी मोहित गुप्ता को पूरी घटना से अवगत कराया, उसके बाद उन्होंने मुकदमा दर्ज करने के आदेश जारी कर दिए। प्रदेश के तमाम जिलो में दर्जनों थाने इसलिए खोले गए जिससे जनता को न्याय मिल सके, लेकिन जनता थाने में नहीं एसपी की चौखट पर ही न्याय के लिए भागती रहेगी तो कब थाने में सुधरेंगे और जनता को न्याय थाने से ही मिलना शुरू होगा।