ये भी पढ़ें- केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी के खिलाफ अभद्र टिप्पणी कर फंसे प्रोफेसर, भेजे गए जेल यह है मामला- ट्रस्ट को 30 मार्च 2010 को भारत सरकार से 71.50 लाख रुपये दिव्यांगों को उपकरण बांटने के लिए मिले थे। इसमें से चार लाख से फर्रुखाबाद में कैंप लगाकर दिव्यांगों को उपकरण बांटे जाने थे। इस धनराशि का उपभोग प्रमाण पत्र तीन माह में देने का आदेश परियोजना निदेशक व सचिव को दिया गया था। इसके साथ 10 प्रतिशत दिव्यांगों का सत्यापन जिला स्तरीय समिति से करा कर रिपोर्ट भारत सरकार को भेजनी थी। 3 जून 2010 को 32 लाभार्थियों की सूची सत्यापन रिपोर्ट के साथ भारत सरकार को भेजी गई थी। भारत सरकार के आदेश पर प्रदेश सरकार ने इसकी जांच आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन उत्तर प्रदेश लखनऊ को सौंपी। निरीक्षक रामशंकर यादव ने जांच की। इसमें पाया कि सूची सत्यापन में तहसीलदार कायमगंज व सीएमओ के पदनाम की मुहर फर्जी हैं। 29 मई 2010 को कायमगंज में कोई भी कैंप नहीं लगाया गया था। न ही दिव्यांगों को उपकरण बांटे गए थे।
ये भी पढ़ें- अगले हफ्ते यूपी आ रहे हैं पीएम मोदी, एक साथ नौ मेडिकल कॉलेजों का करेंगे लोकार्पण 16 अगस्त को होगी सुनवाई- इस मामले की कायमगंज कोतवाली में रामशंकर यादव ने 10 जून 2017 को एफआईआर दर्ज कराई थी। अनुसंधान संगठन के विवेचक ने 30 दिसंबर 2019 को पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद की पत्नी लुईस खुर्शीद व ट्रस्ट के सचिव अतहर फारूखी के खिलाफ सीजेएम कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया था। कोर्ट से आरोपियों को समन जारी किए गए थे। कोर्ट में हाजिर न होने पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने दोनों आरोपियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किए हैं। मुकदमे में 16 अगस्त 2021 की तारीख लगाई है।