script145 वर्ष पुराना कपड़ा छपाई का काम बन्द करने के नोटिस, जा सकती है लाखों लोगों की नौकरी | Notice of closure of 145-year-old textile printing in farrukhabad | Patrika News

145 वर्ष पुराना कपड़ा छपाई का काम बन्द करने के नोटिस, जा सकती है लाखों लोगों की नौकरी

locationफर्रुखाबादPublished: May 31, 2018 01:31:39 pm

देश भर में गंगा स्वच्छता अभियान को लेकर सभी राज्यो में एक मुहिम चलाई जा रही है।

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145 वर्ष पुराना कपड़ा छपाई का काम बन्द करने के नोटिस, जा सकती है लाखों लोगों की नौकरी

फर्रुखाबाद. देश भर में गंगा स्वच्छता अभियान को लेकर सभी राज्यो में एक मुहिम चलाई जा रही है। केंद्र सरकार ने उन छपाई उद्योगों को बन्द कराने के आदेश दिए हैं। जिन कारखानों में केंद्रीय व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी आदेशों का पालन नहीं किया था। उन 90 कारखानों को बन्द करने के नोटिस पिछले सप्ताह जारी कर दिए हैं। यदि यह कारखाने बन्द हो गए तो लगभग एक लाख लोग बेरोजगार हो जाएंगे क्योंकि इन परिवारों का खर्च इन्हीं कारखानों में काम करने से चल रहा है।


145 वर्ष पहले सधवाड़ा निबासी साध समाज के लोगो ने कपड़ा छपाई का काम शुरू किया था। उस समय जैतपुर, अहमदाबाद में बनने वाली सूती साड़ी फर्रुखाबाद में छपती थी। लगातार यह कार्य चल रहा है। अमृतसर से रजाई के पल्ले की छपाई शुरू हुई। वर्तमान में एक्सपोर्ट का कपड़ा शाल आदि की छपाई हो रही है। जिन 90 कारखानों को बन्द करने के नोटिस दिए गए है उनमें अधिकांश छोटे कारखाने हैं। उन कारखाना मालिकों ने विरोध करना शुरू कर दिया है।उन्होंने मांग की है कि जिस जगह से गंगा में नाला गिर रहा है वहां पर एसटीपी प्लांट लगाया जाए। उसके लिए उन्होंने उच्च अधिकारियों को पत्र के द्वारा अवगत भी कराया है। यदि छपाई के कारखाने बन्द हो गए तो सधवाड़ा की जो रौनक है वह खत्म हो जायेगी। इन कारखानों से छपाई करने वाले, धुलाई करने वाले ढोने वाले शॉल में गांठ लगाने वाले सभी के परिवार जुड़े हुए हैं। सबसे बड़ी बात यह कि इस जिले से पहले ही सैकड़ो कारखाना मालिक पलायन कर चुके हैं।जिस कारण बेरोजगारी फैल चुकी थी। यदि यह भी बन्द हो गए तो क्या होगा क्योंकि घरों में शाल में गांठ लगाने वाली महिलाएं भी एक महीने में पांच हजार रुपये की आमदनी करती है।


आखिर क्यों बन्द किये जा रहे कारखाने

शहर के मोहल्ला सधवाला में सैकड़ों छपाई के कारखाने चल रहे हैं। इन कारखानों से निकलने वाला कैमिकल्स युक्त पानी नाले के माध्यम से सीधा गंगा में गिर रहा है। उसी कड़ी में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इनको बन्द करने का नोटिस दिया था लेकिन किसी भी कारखाना मालिक ने कारखाने से निकलने वाले पानी को दूषित रही करने के लिए प्लांट नही लगाया था। उसके बाद कई बार जांच भी की गई लेकिन किसी भी कारखाने में प्लांट नहीं लगा पाया गया। जिस कारण इनको बन्द करने का फैसला लिया गया। उधर मालिकों ने नाले पर प्लांट लगाने की आवाज उठाकर विरोध करना शुरू कर दिया है। अभी तक केवल दो कारखाना मालिकों को एनओसी मिली है जो ऑनलाइन भी है यदि प्लांट नहीं लगाया गया तो गन्दा पानी गंगा में लगातार जाता रहेगा।

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