कैसे पहुंचते हैं आलू
आलू खाने वालों के सामने कैसे पहुंचते हैं आलू। दूकानदार आलू को आग पर कढ़ाई में भूनते हैं, उसके बाद उसके ऊपर के छिलके को एक पले के सहारे अलग करते हैं। आलू को टेस्टी बनाने के लिए कई प्रकार के मसाले डाल कर नमक तैयार करते हैं, उसके साथ चटनी को हरा धनिया, टमाटर, मिर्च, लहसुन आदि मिलाकर तैयार करते हैं जो आलू के स्वाद में चार चाँद लगा देता है।
आलू खाने वालों के सामने कैसे पहुंचते हैं आलू। दूकानदार आलू को आग पर कढ़ाई में भूनते हैं, उसके बाद उसके ऊपर के छिलके को एक पले के सहारे अलग करते हैं। आलू को टेस्टी बनाने के लिए कई प्रकार के मसाले डाल कर नमक तैयार करते हैं, उसके साथ चटनी को हरा धनिया, टमाटर, मिर्च, लहसुन आदि मिलाकर तैयार करते हैं जो आलू के स्वाद में चार चाँद लगा देता है।
इस माघ मेला में लगभग रोजाना हजारों लोगो का आना रहता है। ज्यादातर सभी लोग अपने परिवार सहित या दोस्तों के साथ आते हैं। पूरे दिन मेला में मनोरंजन करने के बाद सिर्फ आलू ही खाना पसंद करते हैं। आलू खाने के लिए लोग दिल्ली, लखनऊ से लेकर केवल एक माह में आलू का स्वाद लेने गंगा के दरबार में आते हैं। आलू खाने वालों का मानना है कि आलू कहीं भी खरीदा जा सकता है, लेकिन स्वाद इस मेले में लगी भुने हुए आलू की दुकानों पर मिलता है। वह कहीं नहीं मिलता है। वैसे भी यहां का आलू पूरे देश में प्रसिद्ध है। इस एक माह के मेले में हजारों कुंतल आलू भून कर दुकानदार लोगों को खिला देते हैं। आलू भुनने वाले अपने पूरे परिवार के साथ 24 घण्टे लगातार लगे रहते हैं। तब कहीं जाकर अच्छा आलू अपने ग्रहाकों को उपलब्ध करा पाते हैं। इस बार मेले में भुना हुआ आलू 60 रुपये किलो बिक रहा है।
फर्रुखाबाद जिले की ही नहीं आस पास जिलों की यह आलू की ***** मशहूर है क्योंकि आलू को लोग नमक मसाले व चटनी, मक्खन के साथ इतने चाव से खाते हैं जैसे लोग होटलों में खाना खाने जाते हों। मेले में लगी सभी आलू की दुकानों पर किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होता है। एक गरीब आदमी से लेकर अमीर आदमी भी जमीन पर बैठ कर आलू के स्वाद का लुफ्त उठाता है।