नोटबंदी के बाद से अपने जिले में किसानों ने बड़ी ही उम्मीद के साथ आलू की खेती करीब 15 हजार से अधिक हेक्टेयर भूमि पर की। अब जब फसल तैयार हुई और मंडी में पहुंची तो भाव 400 से 500 रुपए के ईद गिर्द घूम रहा है जबकि खेत में आलू एक बीघा में 10 से 12 कुंतल ही निकल पा रहा है। एक बीघा आलू किसान को तैयार करने में एक बोरी डीएपी 1100 रुपए, पोटाश, जायम सल्फर 250 रुपए, यूरिया आधी बोरी 150, कीटनाशक दवाई 100 रुपए, जुताई व गड़ाई करीब 600 रुपए और खुदाई 700 रुपए प्रति बीघा हुई थी। मंडी पहुंचने में एक ट्राली पर करीब 300 रुपए कुंतल का खर्चा आ रहा है।
इस हिसाब से आलू किसान पूरी तरह से घाटे में हैं। किसानों का कहना है कि खेत में आलू करने के लिए एक बीघा में सात बोरा बीज डाला जिस पर दो हजार से अधिक का खर्चा आया। पांच सौ रुपए की सिंचाई भी की। इस पर भी भाव नहीं मिल रहा है। खेत में आलू तैयार करने पर करीब 6500 रुपए की प्रतिबीघा लागत आ रही है। किसानों का कहना है कि सरकार कुछ ध्यान दे तभी हालात सुधरें।