scriptखनन की भेंट चढ़े दो छात्र, तालाब रूपी गड्ढे में डूबकर हुई मौत | Two kids dies while swimming in pond in Farrukhabad | Patrika News

खनन की भेंट चढ़े दो छात्र, तालाब रूपी गड्ढे में डूबकर हुई मौत

locationफर्रुखाबादPublished: Sep 26, 2017 10:37:49 pm

Submitted by:

Abhishek Gupta

नहाते समय गहरे पानी में चले जाने के कारण वह दोनों डूब गए।

Kids Death

Kids Death

फर्रुखाबाद. आज दोपहर बाद शहर कोतवाली क्षेत्र के गांव बाग लकूला में प्राइमरी स्कूल के पास एक तालाब रूपी गड्ढे में दो छात्र नहाने गए हुए थे। नहाते समय गहरे पानी में चले जाने के कारण वह दोनों डूब गए। इसकी सूचना घर वालों को मिली तो पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। बाग लकूला गांव के पीछे प्राथमिक विधालय बना हुआ है। जहां पर प्रधान ने पिछले साल अप्रैल को समतलीकरण कराने के लिए तत्कालीन एसडीएम से परमीशन ली थी, लेकिन खनन माफियों ने उस जगह पर लगभग 30 फुट गहरा तालाब जैसा गड्ढा बना दिया है। म्रतक छात्र आर्यन के पिता गुड्डू ने बताया वह स्कूल से आने के बाद बैग रखकर यहां चला आया था।
उसके साथ में नितिन पुत्र मुनीश था। दोनों एक साथ नहा रहे थे जिससे वह डूब गए। दोनों मृतक छात्रों के परिजन मजदूरी करके अपना भरण पोषण करते हैं। बाग लकूला के सरकारी स्कूल के कक्षा 4 के छात्र थे। बच्चों की मौत की खबर मिलने के बाद परिजनों का बुरा हाल है। पुलिस ने गोताखोर अकरम को उस गड्ढे में उतारकर उनके शवों को बाहर निकलवाया।
जैसे ही शव पानी के बाहर आये परिजन उनको लेकर लोहिया अस्पताल चले गए। जहां पर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। घटना स्थल पर पहुंचे एसडीएम सदर अजीत सिंह व सीओ सिटी ने उस जगह का निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि घटना दर्दनाक है। इस गड्ढे को जल्द भरवाया जाएगा। क्योंकि 2016 में इस सरकारी जगह पर खनन करने वालों के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत है।
आखिर क्यों हुआ हादसा-

सपा सरकार में ग्राम प्रधान खेल मैदान बनाने के लिए समतलीकरण की परमीशन लेता है। फिर उसी जगह पर 30 फुट गहरा खनन कर तालाब बना दिया जाता है। मीडिया नेइस अवैध खनन को लेकर कई वार जिले के अधिकारियों से बातचीत की, लेकिन उन्होंने कोई ठोस कार्यवाही नहीं की। यह खबर पत्रिका ने प्रमुखता से छापी थी। खबर में चेताया गया था कि आने वाले समय में इस गड्ढे में बढ़े हादसे होंगे। आज वहीं हुआ जिसका प्रशासन को इंतजार था। जब खनन के बारे में ग्राम प्रधान हरीराम से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि खनन तो रात में होता था। हम कैसे मना सकते थे। यदि जल्द गड्डा नहीं भरा गया तो स्कूल में बहुत से बच्चे और पढ़ते हैं।
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