आखिर उनको बच्चे क्यों प्यारे
शिक्षक श्रीराम वर्मा के अनुसार की मेरे तीन सन्ताने हुई जिनमे दो बेटियां एक बेटा है। जब सभी जबान होकर अपने पैरों पर खड़े होने लायक हो गए तो मैने घर छोड़ दिया। मुझे बच्चों को रोजाना कॉपी किताब गरीब बच्चों में बांटने पर अंदर से खुशी मिलती है। इस काम को करने को लेकर कभी मेरे परिवार ने विरोध नहीं क्योंकि जिस समय मैने नौकरी की थी उस समय मुझे 90 रुपये वेतन मिलता था लेकिन वर्तमान समय मे पेंशन बहुत मिलती है। 15 हजार 600 रुपये में सभी खर्चे पूरे हो जाते है।
शिक्षक की क्या रहती दिन चर्या
यह शिक्षक सुबह चार बजे उठकर रेलवे स्टेशन से अखबार लेकर राजेपुर जाते हैं वहां किताबों के साथ अखबार भी बहुत से लोगों को फ्री में पढ़वाते है। यदि कोई अभिभावक अपने बच्चों को लेकर पढाई की साम्रगी लेने जाते और पैसों की कमी होती तो शिक्षक उसको किताबे मुफ्त में दे देते थे। यह आज भी चल रहा वह गरीब बच्चों किताबो की सुविधा दे रहे हैं। उनका मानना की जो शिक्षक बच्चों को आगे बढाने का काम करते हैं उनका बुरा नहीं होता है।
शिक्षक के साथ कई हादसे लेकिन उनको कुछ नहीं हुआ
शिक्षक श्रीराम वर्मा टैक्सी से राजेपुर जाते है। उन टैक्सियों का 2002 से कई बार सड़क हादसे हुए लेकिन उनके शरीर मे खरोच तक नहीं आई जबकि सभी लोग घायल हुए। पिछले हफ्ते टैक्सी की भिड़ंत में एक कि मौत एक दर्जन लोग चालक सहित घायल हुए थे। वह टैक्सी के अंदर सुरक्षित थे। आस पास के लोगों ने उनको बाहर निकाला था।