फर्रुखाबाद

पुलिस ने की गर्भवती महिला की मदद, बचाई जच्चा बच्ची की जान

फर्रुखाबाद पुलिस का मानवीय चेहरा देखने को मिला है। यह पुलिस के व्यवहार में हो रहे सुखद बदलाव का संकेत है।

फर्रुखाबादSep 12, 2018 / 09:32 pm

Mahendra Pratap

पुलिस ने की गर्भवती महिला की मदद, बचाई जच्चा बच्ची की जान

फर्रुखाबाद. पुलिस की बर्बरता की कहानी तो आपने खूब सुनी होगी। लेकिन क्या कभी पुलिस का ऐसा मानवीय चेहरा आप ने देखा है। पुलिस अगर कोई भूल के चलते छोटी सी भी गलती कर दे तो लोग उन्हें कोसे बिना नहीं चूकते, लेकिन अगर वहीं पुलिस कुछ अच्छा कार्य करें तो तारीफ या उनका मनोबल बढ़ाने लोग आगे क्यों नहीं आते। शायद आप इस खबर देखने के बाद उनकी ज़रा सी तारीफ जरुर करें।

अमूमन पुलिस का मानवीय चेहरा नहीं देखने को मिलता है, फर्रुखाबाद पुलिस का मानवीय चेहरा देखने को मिला है। यह पुलिस के व्यवहार में हो रहे सुखद बदलाव का संकेत है। जिले में पड़ोसी जनपद कन्नौज के कस्बा गुरसहायगंज की रहने वाली गर्भवती महिला रूपा पत्नी दुर्गेश बाथम डिलीवरी कराने को लेकर पैसो के अभाव में अपने जिले से लेकर फर्रुखाबाद के अस्पतालों में दर दर भटकती रही थी।जब महिला का पति लोहिया अस्पताल लेकर गया तो वहां उसको बड़ा आपरेशन बता दिया गया। इसके साथ मे दो यूनिट खून की मांग की गई लेकिन वह खून नहीं ला सकता था।

रिस्तेदार ने मदद से इनकार कर दिया

जब उसने अपनी आर्थिक स्थित के बारे में भी बताया तो लोहिया के डॉक्टरों ने कहा तो कोई दो आदमी लेकर आओ जो ब्लड दे सके।हकीकत में इस पीड़ित महिला के जिले में एक दूर के रिस्तेदार शहर में रहते थे। उन्होंने ने भी मदद से इनकार कर दिया। महिला के ब्लीडिंग नहीं रुक रही थी। जब उसको खून नहीं तो अस्पताल के कर्मचारियों ने यह कहकर भगा दिया कि जब ब्लड का इंतजाम नहीं कर सकते हो तो अपने घर जाओ। पीड़ित महिला रूपा अपने पति के साथ अपने मामा की बेटी लक्ष्मी पत्नी गोपाल बाथम स्यामनगर के घर पहुंची। उनसे मदद की गुहार लगाई लेकिन महिला के जीजा ने झगड़ा करने लगे कहा जब हमारी पत्नी बीमार पड़ी थी तब मदद करने नहीं आए थे।

तीनों पुलिस कर्मचारियों ने की मदद

घर से भगा दिया जबकि रूपा ने कहा कि रात गुजार लेने दो सुबह चले जाएंगे लेकिन उन्होंने अपने घर नहीं रहने दिया। दोनों पति पत्नी सातनपुर मंडी के सामने अपनी दो साल की बच्ची के पटिया पर चादर विछाकर बैठे थे। डायल 100 की पीआरवी 2650 की गाड़ी उनके पास रुकी गाड़ी से एसआई सुरेंद्र शुक्ला, नीरज राजपूत, चालक उपेंद्र कुमार उनके पास पहुंचे उनके बारे में पूछताछ करने लगे जब उनकी कहानी सुनी तो इन तीनों पुलिस कर्मचारियों ने स्थानीय लोगो को मौके पर बुलाया तो और उनसे मदद की बात कही तो मनोज राजपूत टीटू दीक्षित, ब्रजेश सक्सेना सहित अन्य कई लोग उस पीड़ित महिला की मदद करने को तैयार हो गए।

पुलिस ने प्राइवेट शिव नर्सिंग होम में भर्ती कराया

पीआरपी की गाड़ी से उसको एक प्राइवेट शिव नर्सिंग होम में भर्ती कराया जहां पर डॉक्टर अलका जैन ने पुलिस को बताया कि यदि आपरेशन आधे घण्टे के अंदर नहीं किया गया तो मां व बच्चे की जान जा सकती है। पीड़ित महिला के साथ आए लोगों ने अपना अपना ब्लड चेक कराया। जिसमें मनोज राजपूत का ब्लड उस महिला के ब्लड से मैच कर गया। जब दबाई के खर्चे की बात आई तो पुलिस के तीनों कर्मचारियों ने मिलकर तीन हजार टीटू, ब्रजेश ने भी तीन हजार मिलाकर 6 हजार रुपए अस्पताल में जमा कर दिए। उसके बाद डॉक्टर अलका जैन व ऋषिकांत जैन ने उसका सफल आपरेशन कर दोनों की जान बचा ली है लेकिन अब वह महिला तीसरी बार मां नहीं बन सकती है क्योंकि अधिक ब्लीडिंग होने से उसकी बच्चेदानी खराब होने के कारण निकाल दिया गया है।

मदद करने वालों ने महिला के पति को अस्वासन दिया

वहीं मदद करने वालों ने महिला के पति को अस्वासन दिया कि अस्पताल से छुट्टी कराने पर फोन कर देना बांकी के पैसों का हम सब मिलकर भुगतान कर देंगे। अनजान दम्पति के लिए भगवान बने स्थानीय लोग व पुलिस-डॉक्टर की रिपोर्ट पर ध्यान दिया जाए तो उसको एक घण्टे लेट यदि अस्पताल लाया जाता तो दोनों की जान नहीं बचाई जा सकती थी क्योंकि महिला के शरीर से लगातार 12 घण्टों से खून बह रहा था। पुलिस के इन जबानों ने अस्पताल में भर्ती कराने के साथ आर्थिक मदद से यह सावित कर हर पुलिस कर्मचारी खराब नहीं होता है। उनके भी परिवार होते है।

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