साड़ी के अलावा भी इससे कई हुनर वाले आइटम बन सकते हैं।
कोटा डोरिया सिर्फ साड़ी नहीं है। यह एक हस्तकला है, जिससे हाड़ौती की पहचान विश्वभर में है।
प्रदर्शनी रविवार सुबह 9 से शाम 6 बजे तक रहेगी।
शाम 6.30 बजे किशोर सागर तालाब के किनारे बारहदरी पर परिधान शो का आयोजन किया जाएगा।
यहां कैथून से आए बुनकरों के पिटलूम पर कोटा डोरिया बनाकर दर्शकों को बताया।
प्रदर्शनी में डोरिया कपड़े से बने लैम्प, गुलदस्ते, बंदरवाल, टेबल के आइटम, फाइल कवर, जूतियां जैसी वस्तुएं दर्शकों को आकर्षित कर रही थी।
पहले दिन नयापुरा स्थित कलादीर्घा में प्रदर्शनी शुरू हुई।
प्रदर्शनी में प्रस्तुत छतरी।
प्रदर्शनी में प्रस्तुत बैग।
ज्वैलरी के आइटम भी प्रदर्शनी में मौजूद थे।
कार्यक्रम में फैशन डिजाइनर पूजा राजवंशी ने कोटा डोरिया की पृष्ठभूमि और परिधानों की जानकारी दी। बुनकर रजिया ने कहा, उनका पूरा परिवार इस काम में जुटा हुआ है।
समिति के महामंत्री पंकज मेहता ने कहा कि हाड़ौती की कला एवं संस्कृति को मंच प्रदान करना समिति का उद्देश्य रहा है।
इस मौके पर पुलिस अधीक्षक भौमिया ने कहा कि हस्तकला से सुंदर सामग्रियों का निर्माण नवाचार की प्रेरणा देता है।