जहां बच्चों को पढ़ाने के लिए दी जाने वाली किताबों को बीआरसी के कर्मचारियों ने कबाड़ी के हाथों बेंच दिया। बतादें कि ये किताबें साल 2016-17 और 2018 की हैं। पोल तब खुल गई जब कबाड़ी की दुकान में तौलते वक्त तस्वीरें कैमरे में कैद हुईं। जिम्मेदार जांच कराने के बाद कार्रवाई करने की बात करने लगे। सवाल उठता है कि अगर सरकार करोड़ों रुपये पानी की तरह बहा रही है तो क्या बच्चों को दी जाने वाली किताबों पूरी तरह से बांटी तक नहीं जा रही है।
क्योंकि अगर किताबें बांटी जाती तो ये किताबें कहां से आ जाती। बतादें कि किताबें बीआरसी से बाकायदा ट्रैक्टर पर लादाकर कबाड़ी की दुकान पर भेजी गई थी। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने वालों पर कोई कार्रवाई होगी या फिर सब ठंडे बस्ते में चला जाएगा।