आज हम आपको ऐसे ही काबिल इंसान शैलेंद्र पटेल के बारे में बता रहे हैं। राजधानी लखनऊ से 154 किलोमीटर दूर फतेहपुर जिले के अमौली ब्लाक के छोटे से गांव सराय धरमपुर के शैलेंद्र कुमार ऐसी ही विलक्षण प्रतिभा के मालिक हैं। शैलेंद्र ने अपनी मेहनत लगन और दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर वह कर दिखाया जिसके बाद दुनिया उनकी काबिलियत का लोहा मान रही है। शैलेंद्र कुमार एक कलाकार है और वह अनाज के दानों से एक से बढ़कर एक कलाकृतियां बनाते हैं उनकी कलाकृतियों के चलते उनका नाम गिनीज बुक और लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो चुका है।
दो साल पहले उन्होंने गेहूं से एक रुपये का सिक्का बनाकर सबको चौंका दिया। 211 किलो का सिक्का हुबहू भारतीय सिक्के जैसा था। शैलेंद्र के मुताबिक उन्होंने सिक्के के जरिए किसान और भारतीय अर्थव्यवस्था के सामंजस्य को दर्शाने की कोशिश की थी। उनकी प्रतिभा का पूरी दुनिया ने लोहा माना और गिनीज बुक व लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में उनका नाम दर्ज हो गया।
अभी कुछ दिन पहले ही शैलेंद्र ने अनाज के दानों से स्वामी ब्रह्मानंद जी की एक बड़ी प्रतिमा बनाई। स्वामी ब्रह्मानंद जी एक बड़े समाज सुधारक होने के साथ ही आजादी के सिपाही थे उन्होंने गांधीजी के साथ स्वतंत्रा संग्राम में भाग लिया था और बाद में सांसद भी बने। भारत सरकार ने उनके नाम पर डाक टिकट भी जारी किया है।
शैलेंद्र ने स्वामी ब्रह्मानंद जी की 11 फुट ऊंची प्रतिमा का निर्माण दलहन और तिलहन के दानों से किया। प्रतिमा बनाने में दलहन और तिलहन के करीब दो कुंतल दाने लगे जिसमें काली लाही, सरसों, उड़द और मूंग के साथ अलसी का इस्तेमाल 50 किलो केमिकल के साथ किया गया।
शैलेंद्र चाहते हैं कि उनकी कला और लोग भी सीखें। इसके लिए वह एक मूर्तिकला विद्यालय खोलना चाहते हैं। आना कि उनके दिल में कसक है पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन करने वाले इस किसान को सरकार से मदद के नाम पर कुछ नहीं मिला लेकिन उनका जज्बा और इच्छाशक्ति इससे प्रभावित नहीं होती और वह जल्द ही इससे भी बड़ा कुछ करने की बात करते हैं।
By Rajesh Singh