वसंत (Vasant /Basant) को ऋतुओं का राजा माना जाता है। हरे भरे पेड़ पौधे, पशु पक्षी सभी खुशी-खुशी वसंत का स्वागत करते हैं। चारों तरफ हरियाली छा जाती है, खिले हुए फूलों की सुंगंध को समेटे हवाएं मानो मानव मन को बहा ले जाना चाहती हैं। इसके अलावा इस समय जिंदगी में कुछ नया करने की उमंग जगने लगती है। जैसे प्यासे को पानी और भूखे को खाना तृप्त करता है, उसी तरह क्या साल 2021 में वसंत जीवन में खुशहाली ला रही है?
बसन्त पंचमी शुभ मुहूर्त 2021…
16 फरवरी दिन मंगलवार
पूजा मुहूर्त 16 फरवरी की सुबह 06 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक
अवधि- 05 घंटे 37 मिनट
बसन्त पंचमी मध्याह्न का क्षण 12 बजकर 35 मिनट
पंचमी तिथि प्रारम्भ 16 फरवरी को 03 बजकर 36 मिनट पर
पंचमी तिथि समाप्त 17 फरवरी की सुबह 05 बजकर 46 मिनट
2021 में कैसा रहेगा ये दिन…
इस साल ग्रहों का तालमेल ठीक नहीं होने के कारण 17 अप्रैल तक शादी के लिए शुभ दिन नहीं है, लेकिन वहीं ये भी बताया जा रहा है कि विवाह की उत्सुकता से प्रतीक्षा करने वालों के लिए बसंत पंचमी का दिन शुभ रहेगा। इस दिन दूल्हे घोड़ी चढ़ सकेंगे और दुल्हनें डोली पर सवार हो सकेंगी।
समाने आ रही जानकारी के अनुसार इस दिन देश में कई सामाजिक संस्थाएं सामूहिक विवाहों का आयोजन करने की तैयारी की है। इस साल बसंत पंचमी 16 फरवरी को पड़ रहा है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि तथा रवियोग एक साथ बन रहा है, मंगलवार के दिन बसंत पंचमी होने के कारण मंगलकारी भी होगा। वहीं, मकर राशि में 4 ग्रह-गुरु, शनि, शुक्र तथा बुध एक साथ होंगे और मंगल अपनी स्वराशि मेष में विराजमान रहेंगे।
ये सब मीन राशि व रेवती नक्षत्र के अधीन होगा। बसंत पंचमी के दिन आपको माता सरस्वती की पूजा के लिए कुल 05 घंटे 47 मिनट का समय मिलेगा। आपको इसके मध्य ही सरस्वती पूजा करनी चाहिए। 16 फरवरी की सुबह 06 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट के बीच सरस्वती पूजा का मुहूर्त बन रहा है।
वीणावादनी का प्रकटोत्सव…
हमारे धर्मग्रंथों में बसंत पंचमी (Basant Panchami) को कई नामों से जाना जाता है, जैसे श्री पंचमी, ऋषि पंचमी, सरस्वती पंचमी इत्यादि। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन विद्या की देवी मां सरस्वती का जन्म हुआ था। ऋग्वेद में ऐसा वर्णन मिलता है कि ब्रह्मा जी अपनी सृष्टी के सृजन से संतुष्ट नहीं थे। चारों तरफ मौन छाया हुआ था, तब उन्होंने अपने कमण्डल से जल का छिड़काव किया, जिससे हाथ में वीणा लिए एक चतुर्भुजी स्त्री प्रकट हुईं। ब्रह्माजी के आदेश पर जैसे ही देवी ने वीणा पर मधुर सुर छेड़ा, संसार को ध्वनि मिली, वाणी मिली, ब्रह्मा जी ने देवी का नाम सरस्वती रखा, जिसे आप शारदा, वीणावादनी के नाम से भी जानते हैं। वसंत पंचमी के दिन पूरे भारत सहित दुनिया के कई देशों में लोग मां सरस्वती का पूजन (Saraswati Puja) करते हैं।
ब्रह्मा जी ने देवी से वीणा बजाने का अनुरोध किया और जैसे ही देवी ने वीणा का मधुर नाद किया, संसार के समस्त जीव-जंतुओं को वाणी प्राप्त हो गई । जलधारा में कोलाहल व्याप्त हो गया व पवन चलने से सरसराहट होने लगी । तब ब्रह्माजी ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती कहा। सरस्वती को बागीश्वरी , भगवती , शारदा , वीणावादिनी और बाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है । ये विद्या और बुद्धि की प्रदाता हैं, संगीत की उत्पत्ति करने के कारण ये संगीत की देवी कहलाती हैं।
इस दिन क्या करें ?…
: इस दिन सगाई या विवाह कर सकते हैं।
: इस दिन नया कारोबार आरंभ कर सकते हैं।
: इस दिन गृह प्रवेश, मकान की नींव डाल सकते हैं।
: इस दिन नया वाहन, बर्तन ,सोना, घर, नए वस्त्र, आभूषण,वाद्य यंत्र, म्युजिक सिस्टम आदि खरीदने का शुभ दिन है।
: इस दिन किसी नए कोर्स में एडमिशन, विदेश जाने के लिए आवेदन या संबंधित परीक्षा देने पर शुभ रहेगा।
: साथ ही इस दिन लांग अर्म इन्वेस्टमेंट, दीर्घकालीन निवेश, बीमा पालिसी, बैंक खाता खोलवाना शुभ रहेगा।
: कोई नवीन कार्य आरंभ करें, शिक्षा या संगीत से संबंधित शुभ रहेगा।
पेन, कॉपी, किताबों की भी पूजा…
बसंत पंचमी के दिन पेन, कॉपी, किताबों की भी पूजा की जाती है। ऐसा करने से देवी सरस्वती वरदान प्रदान करती हैं। भारत देश के सरस्वती, विष्णु और शिव मंदिरों में इस त्योहार का उत्साह सर्वाधिक होता है। अधिकांश स्थानों पर मेले आयोजित किए जाते हैं, जो मुख्यतः संबंधित देवी-देवता को ही समर्पित होते हैं।
राशिनुसार ऐसे समझें…
1. मेष राशि: बसंत पंचमी के दिन सरस्वती मां की पूजा के दौरान सरस्वती कवच पाठ जरूर करें। ऐसा करने से बुद्धि की प्राप्ति होगी। इसके अलावा एकाग्रता की कमी भी ठीक हो जाएगी।
2. वृषभ राशि : मां सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए उनको सफेद चंदन का तिलक लगाएं और फूल अर्पित करें। ऐसा करने से ज्ञान में बढ़ोतरी होने के साथ ही जो भी समस्याएं हैं, उनसे निजात मिलेगी।
3. मिथुन राशि : मां सरस्वती को हरे रंग का पेन (कलम) अर्पित करें और उससे ही अपनी सभी कार्यों को पूरा करें। ये कार्य आपकी लिखने संबंधी समस्याएं को समाप्त करने में मददगार होगा।
4. कर्क राशि : मां सरस्वती को खीर का भोग लगाना चाहिए। संगीत क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले छात्रों को ऐसा करने से बहुत अधिक फायदा होगा।
5. सिंह राशि : मां सरस्वती की पूजा के दौरान गायत्री मंत्र का जाप जरूर करें। ऐसा करने से विदेश में रहकर पढ़ाई करने वाले छात्रों की इच्छा पूरी हो जाएगी।
6. कन्या राशि : गरीब बच्चों में पढ़ने की सामाग्री बांटे, जिसमें पेन, पेंसिल किताबें आदि शामिल हों। अगर आप ऐसा करते हैं तो पढ़ाई में आ रही आपकी परेशानी को दूर किया जा सकता है।
7. तुला राशि :किसी ब्राह्मण को सफेद कपड़ें दान में दें। यदि छात्र ऐसा करते हैं तो उन्हें वाणी से जुड़ी किसी परेशानी से निजात मिल सकती है और आपकी वाणी में मधुरता आएगी।
8. वृश्चिक राशि : अगर याद्दाश्त से संबंधित कोई परेशानी है तो इसे आप मां सरस्वती की आराधना करके इसे दूर कर सकते हैं। मां सरस्वती की पूजा के बाद लाल रंग का पेन उन्हें अर्पित करें।
9. धनु राशि : पीले रंग की कोई मिठाई अर्पित करें। इससे आपकी निर्णय लेने की क्षमता बढ़ जाएगी। साथ ही आपकी उच्च शिक्षा की इच्छा भी मां सरस्वती अवश्य पूरी करेंगी।
10. मकर राशि : निर्धन व्यक्तियों को सफेद रंग का अनाज दान करें। ऐसा करने से मां सरस्वती आपके बुद्धिबल में विकास होगा।
11. कुंभ राशि : गरीब बच्चों में स्कूल बैग और दूसरी जरूरी चीजें दान करें। मां सरस्वती की कृपा आप पर बनी रहेगी और आपका आत्म विश्वास भी बढ़ेगा।
12. मीन राशि : छोटी कन्याओं में पीले रंग के कपड़े दान करें। इससे आपके करियर में आने वाली समस्याओं का निवारण होगा। आपके ऊपर मां सरस्वती का आशीर्वाद बना रहेगा।
ऐसे करें बसंत पंचमी की पूजा…
: इस दिन प्रात: काल स्नानादि कर पीले वस्त्र धारण करें।
: मां सरस्वती की प्रतिमा को सामने रखकर कलश स्थापित करें।
: इसके बाद माता सरस्वती और भगवान गणेश व नवग्रह की विधिवत पूजा करें।
: मां की पूजा करते समय सबसे पहले उन्हें आचमन व स्नान कराएं।
: फिर माता का श्रृंगार कराएं और उन्हें श्वेत वस्त्र पहनाएं।
: प्रसाद के रूप में खीर अथवा दुध से बनी मिठाईयां चढा सकते हैं।
: इसके बाद श्वेत फूल माता को अर्पण करें।
: विद्यार्थी मां सरस्वती की पूजा कर गरीब बच्चों में कलम व पुस्तकों का दान करें।
: संगीत से जुड़े व्यक्ति अपने साज पर तिलक लगाकर मां की आराधना करें।
: देवी सरस्वती के इस मन्त्र का जाप करने से ‘‘श्रीं ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा” असीम पुण्य मिलता है।
धर्म में आस्था और मन में विश्वास रखने वाले लोग वसंत पंचमी (Vasant Panchami ) से अपने जीवन की नई शुरुआत कर सकते हैं. निराशा की ऊंची-ऊंची दीवारों को पार करके आशा के लहलहाते मैदान में तेजी से दौड़ना शुरू कर सकते हैं, क्योंकि जो दौड़ेगा वही जीतेगा. उसी के सपने साकार होंगे. उसी के जीवन में नई उमंग आएगी. उसी के परिवार में खुशहाली बढ़ेगी. उसी की सोच सकारात्मक होगी. उसी को दिन का उजाला उत्साहित करेगा. वही आगे बढ़ेगा. हिंदू धर्म और ज्योतिष का सार भी यही है कि अपने संस्कार और संस्कृति पर भरोसा करो, खुद से उम्मीद करो, खुद पर भरोसा करो, सपने देखो, सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ो. मार्टिन लूथर किंग ने कहा था कि ‘इस दुनिया में जो कुछ भी होता है, वह उम्मीद की वजह से ही संभव है.’ ऋतुओं का राजा वसंत आपके लिए नई उम्मीद लेकर आया है.
माता सरस्वती की ऐसे करें पूजा : Maa Saraswati Prayer
सत्वगुण से उत्पन्न होने के कारण इनकी पूजा में इस्तेमाल होने वाली सामग्रियां अधिकांशः श्वेत वर्ण की होती हैं जैसे श्वेत चन्दन , श्वेत वस्त्र , फूल , दही-मक्खन , सफ़ेद तिल का लड्डू , अक्षत , घृत , नारियल और इसका जल , श्रीफल , बेर इत्यादि । इस दिन सुबह स्नानादि के पश्चात श्वेत अथवा पीले वस्त्र धारण कर विधिपूर्वक कलश स्थापना करें । माँ सरस्वती के साथ भगवान गणेश , सूर्यदेव , भगवान विष्णु व शिवजी की भी पूजा अर्चना करें । श्वेत फूल-माला के साथ माता को सिन्दूर व अन्य श्रृंगार की वस्तुएं भी अर्पित करें । वसंत पंचमी के दिन माता के चरणों पर गुलाल भी अर्पित करने का विधान है । प्रसाद में माँ को पीले रंग की मिठाई या खीर का भोग लगाएं । यथाशक्ति ”ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः ” का जाप करें । माँ सरस्वती का बीजमंत्र ” ऐं ” है जिसके उच्चारण मात्र से ही बुद्धि विकसित होती है । इस दिन से ही बच्चों को विद्या अध्ययन प्रारम्भ करवााना चाहिए ।ऐसा करने से बुद्धि कुशाग्र होती है व माँ की कृपा जीवन में सदैव बनी रहती है।