जानकारों के अनुसार विष्णु भगवान के साथ देवी तुलसी की पूजा अवश्य की जाती है। वहीं भगवान विष्णु की पूजा और नेवेघ के समय तुलसी का इस्तेमाल विशेष तौर से किया जाता है।
वहीं भाद्रपद माह तो चातुर्मास का ही एक माह माना जाता है, और इस चातुर्मास में पालन की जिम्मेदारी स्वयं देवी तुलसी पर ही होती है। वहीं मान्यता के अनुसार एकादशी की शाम तुलसी के पास दीपक जलाना और मंत्रों का जाप करना चाहिए।
जानकारों के अनुसार इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि के पश्चात भक्त को भगवान विष्णु के व्रत और तुलसी पूजन का संकल्प लेना होता है। इस दिन देवपी तुलसी को सूर्योदय के बाद साफ जल चढ़ाना चाहिए।
जिसके बाद तुलसी की पूजा कर उन्हें लाल फूल, गंध और लाल वस्त्र अर्पित करने चाहिए। देवी तुलसी के समक्ष घी का दीपक जलाने के बाद किसी भी फल का भोग लगाएं। वहीं देवी तुलसी को सुबह जल चढ़ाते हुए तुलसी मंत्र पढ़ना चाहिए।
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार एकादशी के दिन सुबह के समय तुलसी और शालिग्राम पूजा के बाद तुलसी दान का भी संकल्प करना चाहिए। फिर भगवान विष्णु की पूजा के बाद गमले पर पीला कपड़ा इस तरह से लपेटें कि पूरा पौधा ढक जाए।
इसके पश्चात इस तुलसी की पौधे को करीब के किसी कृष्ण या विष्णु मंदिर में दान कर दें। वहीं कुछ धार्मिक ग्रंथों के अनुसार तुलसी के साथ फल का दान और अन्नदान भी करना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से कई यज्ञों के बराबर पुण्य की प्राप्ति होते हैं।