पौराणिक मान्यता है कि इस दिन जो व्यक्ति मृत्यु के देवता यमराज और माता लक्ष्मी को प्रसन्न कर लेता है उसे मरने के बाद नरक में स्थान नहीं मिलता है। कहा तो ये भी जाता है कि अनजाने में हुए पापों से भी मुक्ति मिल जाती है।
मान्यता है कि नरक चतुर्दशी यानी छोटी दिवाली के दिन धर्मराज की पूजा कर घर के मुख्य द्वार के बाहर तेल का दीपक जलाने से अकाल मृत्यु कभी नहीं आती है।
छोटी दिवाली को यम चतुर्दशी, रूप चतुर्दशी या रूप चौदस भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि श्राद्ध महीने में आए हुए पितर इसी दिन चंद्रलोक वापस जाते हैं। बताया जाता है कि पितरों की सुविधा के लिए नरक चतुर्दशी के दिन एक बड़ा दीपक जलाया जाता है।
नरक चतुर्दशी पूजा विधि और शुभ मुहूर्त मान्यता के अनुसार नरक चतुर्दशी पर नरक से बचने के लिए सूर्योदय से पूर्व उठकर सरसों तेल से मालिश करने के बाद ही स्नान करना चाहिए। नहाने के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं और पूरे विधि विधान से भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करें। शाम को 5 या 7 दीपक जलाएं और घर के चारो कोने में रख दें।
शुभ मुहूर्त: सुबह 05.16 से 06.30 बजे तक
पूजा करने की अवधि: 1 घंटा 14 मिनट
पूजा करने की अवधि: 1 घंटा 14 मिनट