चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ: 11 मार्च को दोपहर 02 बजकर 39 मिनट।
चतुर्दशी तिथि समाप्त: 12 मार्च को दोपहर 03 बजकर 02 मिनट।
महाशिवरात्रि पर निशिता काल: 11 मार्च को प्रात: 12 बजकर 06 मिनट से प्रात: 12 बजकर 55 मिनट तक।
महाशिवरात्रि पारणा मुहूर्त: 12 मार्च को प्रात: 06 बजकर 36 मिनट से दोपहर 3 बजकर 04 मिनट तक।
1. महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की चार पहर की विशेष पूजा का महत्व है। निशिथ काल में पूजा 11 मार्च की रात 12 बजकर 15 मिनट से करीब एक बजे तक रहेगी।
2. जीवन में होने वाले परिवर्तनों के कारक बुध ग्रह महाशिवरात्रि को राशि परिवर्तन करेंगे। बुध का मकर से कुंभ राशि में गोचर होगा। 11 मार्च सुबह करीब 11 बजकर 40 मिनट से बुध ग्रह मार्गी होकर कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे।
भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए करें ये उपाय…
: ‘नमः शिवाय: ॐ नमः शिवाय:’ पंचतत्वमक मंत्र है इसे शिव पंचक्षरी मंत्र कहते हैं। इस पंचक्षरी मंत्र के जाप से ही मनुष्य संपूर्ण सिद्धियों को प्राप्त कर सकता है।भगवान शिव का निरंतर चिंतन करते हुए इस मंत्र का जाप करें।
: व्रती दिनभर शिव मंत्र ‘नमः शिवाय: ॐ नमः शिवाय:’ का जाप करें तथा पूरा दिन निराहार रहें। रोगी, अशक्त और वृद्ध दिन में फलाहार लेकर रात्रि पूजा कर सकते हैं।
MUST READ : महाशिवरात्रि 2021- भगवान शिव की विशेष पूजा का ये दिन, इस बार है बेहद खास- शंकर के साथ भगवान विष्णु का भी मिलेगा आशीर्वाद : शिवपुराण में रात्रि के चारों प्रहर में शिव पूजा का विधान है। माना जाता है कि इस दिन शिवपुराण का पाठ सुनना चाहिए। रात को जागरण कर शिवपुराण का पाठ सुनना हर व्रती का धर्म माना गया है।
: श्री महाशिवरात्रि व्रत करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। स्नान, वस्त्र, धूप, पुष्प और फलों के अर्पण करें। इसलिए इस दिन उपवास करना अति उत्तम कर्म है।
: सभी प्रकार के पापों का नाश करने और समस्त सुखों की कामना के लिए महाशिवरात्रि व्रत करना श्रेष्ठ है।
: रात को भगवान शिव की चार प्रहर की पूजा बड़े भाव से करने का विधान है।
भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए ये चढ़ाएं ये न चढ़ाएं-
: केसर, चीनी, इत्र, दूध, दही, घी, चंदन, शहद, भांग,सफेद पुष्प, धतूरा और बिल्व पत्र
: जल: ॐ नम: शिवाय मंत्र का जाप करते हुए शिवलिंग पर जल चढ़ाएं
: बिल्व पत्र के तीनों पत्ते पूरे होने चाहिएं, खंडित पत्र कभी न चढ़ाएं
: चावल सफेद रंग के साबुत होने चाहिएं, टूटे हुए चावलों ना चढ़ायें
: फूल ताजे ही चढ़ायें, बासी एवं मुरझाए हुए न हों
: शिवलिंग पर लाल रंग, केतकी एवं केवड़े के पुष्प अर्पित नहीं किए जाते
: भगवान शिव पर कुमकुम और रोली का अर्पण भी निषेध है।