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Mahashivratri 2021 : इस महाशिवरात्रि पर जरुर करें ये काम, प्रसन्न होकर मनचाहा फल देंगे भोलेनाथ

locationभोपालPublished: Mar 09, 2021 11:58:25 am

महाशिवरात्रि पर कृष्ण पक्ष की त्रयोदशीयुक्त चतुर्दशी तिथि…

Easy tips to get blessings of lord shiv on this Mahashivratri 2021

Easy tips to get blessings of lord shiv on this Mahashivratri 2021

त्रिदेवों में से एक भगवान शिव का प्रमुख पर्व महाशिवरात्रि के रूप में देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। महाशिवरात्रि के व्रत को अमोघ फल देने वाला बताया गया है। महाशिवरात्री का पर्व हिंदुओं का प्रमुख त्यौहार है। शिव का अर्थ है कल्याणकारी, शिव यानि बाबा भोलेनाथ, शिवशंकर, शिवशम्भू, शिवजी, नीलकंठ और रूद्र आदि नाम से भगवान शंकर हिंदुओं के शीर्ष देवताओं में से एक हैं, वे देवों के देव महादेव कहे गए हैं।
इस साल भोले बाबा का महापर्व महाशिवरात्रि 11 मार्च को फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशीयुक्त चतुर्दशी तिथि को मनाई जाएगी। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस दिन कई शुभ योग बन रहे हैं। इस दिन विशेष रूप से शिवयोग और सिद्धि योग रहेगा। नक्षत्र घनिष्ठा रहेगा। चंद्रमा मकर राशि में विराजमान रहेगा।
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महाशिवरात्रि शुभ मुहूर्त- 2021
चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ: 11 मार्च को दोपहर 02 बजकर 39 मिनट।
चतुर्दशी तिथि समाप्त: 12 मार्च को दोपहर 03 बजकर 02 मिनट।
महाशिवरात्रि पर निशिता काल: 11 मार्च को प्रात: 12 बजकर 06 मिनट से प्रात: 12 बजकर 55 मिनट तक।
महाशिवरात्रि पारणा मुहूर्त: 12 मार्च को प्रात: 06 बजकर 36 मिनट से दोपहर 3 बजकर 04 मिनट तक।
मान्यता है कि यदि शिव को सच्चे मन से याद कर लिया जाए तो शिव प्रसन्न हो जाते हैं। कहा जाता है कि इस दिन भगवान शंकर का माता पार्वती के साथ विवाह हुआ था।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्री वर्ष के अंत में आती है, इसलिए इस दिन पूरे वर्ष में हुई गलतियों के लिए भगवान शंकर से क्षमा याचना की जाती है और आने वाले वर्ष में उन्नति एवं सदगुणों के विकास के लिए प्रार्थना की जाती है।
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इस बार ये है खास…
1. महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की चार पहर की विशेष पूजा का महत्व है। निशिथ काल में पूजा 11 मार्च की रात 12 बजकर 15 मिनट से करीब एक बजे तक रहेगी।
2. जीवन में होने वाले परिवर्तनों के कारक बुध ग्रह महाशिवरात्रि को राशि परिवर्तन करेंगे। बुध का मकर से कुंभ राशि में गोचर होगा। 11 मार्च सुबह करीब 11 बजकर 40 मिनट से बुध ग्रह मार्गी होकर कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे।

भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए करें ये उपाय…
: ‘नमः शिवाय: ॐ नमः शिवाय:’ पंचतत्वमक मंत्र है इसे शिव पंचक्षरी मंत्र कहते हैं। इस पंचक्षरी मंत्र के जाप से ही मनुष्य संपूर्ण सिद्धियों को प्राप्त कर सकता है।भगवान शिव का निरंतर चिंतन करते हुए इस मंत्र का जाप करें।
: व्रती दिनभर शिव मंत्र ‘नमः शिवाय: ॐ नमः शिवाय:’ का जाप करें तथा पूरा दिन निराहार रहें। रोगी, अशक्त और वृद्ध दिन में फलाहार लेकर रात्रि पूजा कर सकते हैं।

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: शिवपुराण में रात्रि के चारों प्रहर में शिव पूजा का विधान है। माना जाता है कि इस दिन शिवपुराण का पाठ सुनना चाहिए। रात को जागरण कर शिवपुराण का पाठ सुनना हर व्रती का धर्म माना गया है।
: श्री महाशिवरात्रि व्रत करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। स्नान, वस्त्र, धूप, पुष्प और फलों के अर्पण करें। इसलिए इस दिन उपवास करना अति उत्तम कर्म है।
: सभी प्रकार के पापों का नाश करने और समस्त सुखों की कामना के लिए महाशिवरात्रि व्रत करना श्रेष्ठ है।
: रात को भगवान शिव की चार प्रहर की पूजा बड़े भाव से करने का विधान है।
भगवान शिव को दूध, दही, शहद, सफेद पुष्प, सफेद कमल पुष्पों के साथ ही भांग, धतूरा और बिल्व पत्र अति प्रिय हैं। इन मंत्रों का जाप करें-‘ओम नम: शिवाय ‘, ‘ओम सद्योजाताय नम:’, ‘ओम वामदेवाय नम:’, ‘ओम अघोराय नम:’, ‘ओम ईशानाय नम:’, ‘ओम तत्पुरुषाय नम:’। अर्घ्य देने के लिए करें ‘गौरीवल्लभ देवेश, सर्पाय शशिशेखर, वर्षपापविशुद्धयर्थमर्ध्यो मे गृह्यताम तत:’ मंत्र का जाप।
रात को शिव चालीसा का पाठ करें। इसके अतिरिक्त पूजा की प्रत्येक वस्तु को भगवान को अर्पित करते समय उससे सम्बन्धित मंत्र का भी उच्चारण करें। प्रत्येक प्रहर की पूजा का सामान अलग से होना चाहिए।
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भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए ये चढ़ाएं ये न चढ़ाएं-

: केसर, चीनी, इत्र, दूध, दही, घी, चंदन, शहद, भांग,सफेद पुष्प, धतूरा और बिल्व पत्र
: जल: ॐ नम: शिवाय मंत्र का जाप करते हुए शिवलिंग पर जल चढ़ाएं
: बिल्व पत्र के तीनों पत्ते पूरे होने चाहिएं, खंडित पत्र कभी न चढ़ाएं
: चावल सफेद रंग के साबुत होने चाहिएं, टूटे हुए चावलों ना चढ़ायें
: फूल ताजे ही चढ़ायें, बासी एवं मुरझाए हुए न हों
: शिवलिंग पर लाल रंग, केतकी एवं केवड़े के पुष्प अर्पित नहीं किए जाते
: भगवान शिव पर कुमकुम और रोली का अर्पण भी निषेध है।

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