भगवान शिव को समर्पित त्रयोदशी तिथि के दिन रखने जाने वाला प्रदोष व्रत शिव के भक्तों के लिए अति विशेष माना जाता है। ऐसे में इस बार 19 मार्च से हुए चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी पर प्रदोष व्रत मंगलवार, 29 मार्च को है। यह साल 2022 के चैत्र माह में पड़ने वाला पहला प्रदोष है। यहां ये समझ लें कि प्रदोष काल उस समय से शुरु होता है, जब सूर्य डूबने के करीब होता है। ऐसे में इस बार यानि 29 मार्च को प्रदोष व्रत के दौरान भगवान शिव की पूजा के लिए शुभ समय 06:37PM से 08:57PM बजे तक रहेगा।
जानकारों के अनुसार इस बार चैत्र में पड़ने वाले इस प्रदोष व्रत के दिन एक ओर जहां इस दिन (मंगलवार, 29 मार्च) 02:38 PM तक द्वादशी रहेगी वहीं इसके ठीक बाद इसी दिन त्रयोदशी लग जाएगी। ऐसे में त्रयोदशी अगले दिन बुधवार, 30 मार्च को 01:19 PM तक रहेगी, जिसके पश्चात चतुर्दशी लग जाने से इस दिन मासिक शिवरात्रि रहेगी। यानि त्रयोदशी से लगती हुई एक ही दिन मासिक शिवरात्रि रहेगी।
भगवान शिव को ऐसे रखें प्रसन्न
जानकारो के अनुसार त्रयोदशी के दिन भक्त प्रदोष का व्रत भगवान शिव शंकर को प्रसन्न करने के लिए रखते हैं। भगवान शिव को प्रदोष व्रत अत्यंत प्रिय माना जाता है। हर माह कि दोनों पक्षों में प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। माना जाता है कि भगवान शिव की इस दिन विधि-विधान से पूजा अर्चना और व्रत करने पर उनका विशेष आशीर्वाद मिलता है।
ऐसा करने वाले भक्तों को भगवान भोलेनाथ कष्टों से दूर रखने के साथ ही उनकी सभी मनोकामनाएं भी पूरी करते हैं।
हिंदू पंचाग के अनुसार सप्ताह के वार के अनुसार ही प्रदोष व्रत का नाम पड़ता है, जैसे सोमवार को प्रदोष होने पर यह सोम प्रदोष, मंगलवार को होने पर भौम प्रदोष, बुध को बुध प्रदोष, गुरुवार को गुरु प्रदोष आदि के नाम से जाना जाता है। ऐसे में इस बार 29 मार्च को मंगलवार होने के कारण चैत्र माह का ये प्रदोष भौम प्रदोष के नाम से जाना जाएगा।
प्रदोष व्रत की विधि (Pradosh Vrat Vidhi)
धर्म के जानकारों के अनुसार हिंदू धर्म में हर व्रत के कुछ खास नियम होते हैं। ऐसे ही कुछ नियम प्रदोष व्रत को लेकर भी है। साथ ही व्रत के दौरान स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। जानकारों के अनुसार प्रदोष व्रत के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नानादि के पश्चात भगवान शिव के सामने प्रदोष व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
फिर विधि-विधान से शिव की पूजा और अर्चना करनी चाहिए। फिर दिन भी भगवान शिव के मंत्रों का मन ही मन जाप करना चाहिए। जिसके बाद प्रदोष काल में यानि शाम के समय एक बार फिर स्नान आदि के पश्चात भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा की जानी चाहिए। इस दिन प्रदोष व्रत की कथा का श्रवण करने के साथ ही रुद्राक्ष की माला से शिव मंत्र का भी ज्यादा से ज्यादा जाप करना चाहिए।