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गंगा दशहरा पर्व : इस शुभ मुहूर्त में स्नान कर, ऐसे करें मां गंगा का पूजन, हो जायेगी हर कामना पूरी

locationभोपालPublished: Jun 11, 2019 04:25:11 pm

Submitted by:

Shyam

गंगा स्नान के बाद इस मंत्र का जप करने से बदल जाती है किस्मत

ganga dussehra 2019

गंगा दशहरा पर्व : इस शुभ मुहूर्त में ऐसे करें मां गंगा का पूजन, हो जायेगी हर कामना पूरी

साल 2019 में गंगा दशहरा का पावन पर्व 12 जून दिन बुधवार को है। गंगा दशहरा का पर्व प्रतिवर्ष ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस शुभ दिन गंगा में स्नान कर पूजन करने से मां गंगा अपने पुत्रों की सभी मननोकामना पूरी कर देती है। 12 जून को इस शुभ मुहूर्त में इस विधि से करें गंगा स्नान एवं गंगा पूजन।

 

 

गम् गम् गच्छति इति गंगा

मां गंगा के नाम का उच्चारण करने व सुनने, दर्शन करने, गंगाजल ग्रहण करने, स्पर्श करना और उसमें स्नान करने से जन्म-जन्मांतरों के पाप नष्ट हो जाते हैं। गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने नदियों में अपने को गंगा कहा है। ‘गम् गम् गच्छति इति गंगा’ अर्थात गम गम स्वर करती बहती है गंगा। पितृदोष से पीडि़त लोगों को गंगा दशहरा के दिन पितरों की मुक्ति हेतु गुड़, घी और तिल के साथ मधुयुक्त खीर गंगा में डालनी चाहिए।

 

 

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गंगा स्नान के बाद इस मंत्र का जप करें

अग्नि पुराण में कहा गया है कि- जैसे मंत्रों में ऊँ कार, धर्मों में अहिंसा, कामनाओं में लक्ष्मी का कामना, नारियों में माता महागौरी उत्तम है, ठीक वैसे ही तीर्थों में सर्वश्रेष्ठ गंगा जी है। अगर गंगा दशमी के दिन कोई भी मनुष्य अपनी सर्व मनोकामनाओं की इच्छा से गंगा जी में डुबकी लगाकर इस मंत्र का जप 1008 या 108 बार करने से एक साथ कई मनोकामना पूरी हो जाती है।

 

गंगा जी का मंत्र

“ऊँ ह्रीं गंगादेव्यै नमः”

ganga dussehra 2019

शुभ मुहूर्त

गंगा दशहरा का पर्व 12 जून दिन बुधवार को मनाया जायेगा। हिन्दू धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि- गंगा दशहरा का दिन अपने आप में स्वयं ही शुभ मुहूर्त है। इस दिन सूर्योदय से 2 घंटे पहले से लेकर सूर्यास्त तक गंगा मैया स्नाक कर विधि विधान से पंचोपचार विधि या संभव हो तो षोडशोपचार विधि से पूजन करना चाहिए।

 

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पितृ भी होते है तृप्त

इस दिन अगर कोई अपने पूर्वज पितरों की मुक्ति के निमित्त- गुड़, गाय का घी और तिल शहद के साथ बनी खीर गंगा जी में डालते हैं, तो डालने वालों के पितर सौ वर्षों तक तृप्त और प्रसन्न होकर अपनी संतानों को मनोवांछित फल प्रदान करते हैं।

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