चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पहली तिथि के पहले सूर्योदय के साथ ही हिंदू नववर्ष एवं चैत्र नवरात्रि का आरंभ हो जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो भी गुड़ी पड़वा के दिन अपने घर की छत पर माता की प्रतीक “गुडी” यानी की एक बांस लेकर उसके ऊपर एक पीला, हरा कपड़ा, कपड़ा आम तौर पर केसरिया रंग का और रेशम का होता है को रखने के बाद एक चांदी, तांबे या पीतल का उलटा कलश रखें। अब इस गुड़ी नामक लाठी को नीम की हरी पत्तियों, आम की डंठल और लाल फूलों से सजायें एवं नीचे दिये मंत्र से गुड़ी पड़वा का पूजन करने के बाद अपने घर की छत पर बीचों बीच में लगा दें, ऐसा करने से घर परिवार में हमेशा सुख शांति बनी रहती है।
गुड़ी पड़वा के पूजन-मंत्र
हल्दी कुमकुम अक्षत से गुड़ी पड़वा का पूजन करें। ऐसी मान्यता हैं की इस दिन व्रत-उपवास करने से अनेक मनोकामनाएं पूरी हो जाती है।
सबसे पहले इस मंत्र का उच्चारण करते हुये व्रत का संकल्प लें-
ॐ विष्णुः विष्णुः विष्णुः, अद्य ब्रह्मणो वयसः परार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे अमुकनामसंवत्सरे चैत्रशुक्ल प्रतिपदि अमुकवासरे अमुकगोत्रः अमुकनामाऽहं प्रारभमाणस्य नववर्षस्यास्य प्रथमदिवसे विश्वसृजः श्रीब्रह्मणः प्रसादाय व्रतं करिष्ये ।
चैत्र नवरात्रिः सटीक शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधिअब इस मंत्र से षोडषोपचार पूजन करें-
ॐ चतुर्भिर्वदनैः वेदान् चतुरो भावयन् शुभान्।
ब्रह्मा मे जगतां स्रष्टा हृदये शाश्वतं वसेत्।।
गुड़ी पड़वा का खास प्रसाद
हिंदू नववर्ष गुड़ी पड़वा के दिन पारम्परिक तौर पर मीठे नीम की पत्तियां, गुड़ और इमली की चटनी बनाकर खाया और बांटा जाता है।
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