9 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

हनुमान जयंतीः आज शाम अपने घर पर ही करें ये उपाय

प्रसन्न होकर हनुमान जी सारे संकटों को दूर करेंगे

2 min read
Google source verification

image

Shyam Kishor

Apr 08, 2020

हनुमान जयंतीः आज शाम अपने घर पर ही करें ये उपाय

हनुमान जयंतीः आज शाम अपने घर पर ही करें ये उपाय

आज बुधवार 8 अप्रैल को हनुमान जयंती का पर्व है। हनुमान जयंती के दिन भक्त हनुमान जी की शरण में जाकर जीवन के समस्त कष्ट कठिनाईयों से हमेशा के लिए छुटकारा पा लेते हैं। अगर हनुमान जी की कृपा पाना चाहते हैं तो आज शाम को अपने घर पर ही हनुमान जी के इन मंत्रों का जप करें। प्रसन्न होकर हनुमान जी सारे संकटों को दूर कर देंगे।

हनुमान जयंती : जन्मोत्सव पर्व में हनुमान जी को लगाएं यह भोग

1- अगर कोई किसी बड़ी समस्या से घिरा हुआ है तो हनुमान जयंती के दिन सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के बीच श्री हनुमान जी के इस सिद्ध चमत्कारी मंत्र का 1100 बार हनुमान जी के सामने सुगंधित धुप जलाकर मंत्र का जप करें।

मंत्र-

।। ॐ महाबलाय वीराय चिरंजिवीन उद्दते। हारिणे वज्र देहाय चोलंग्घितमहाव्यये।।

जब उपरोक्त मंत्र का जप पूरा हो जाये तो उसके बाद 7 बार श्री हनुमान चालीसा का पाठ भी करें।

2- अगर किसी को बार बार किसी भी चीज से डर लगता हहो तो उस हनुमान जयंती के दिन सूर्योदय के समय पूर्व दिशा में मुख करके इस मंत्र का 700 बार का जप करें।

मंत्र

।। ॐ हं हनुमंते नम: ।।

हनुमान जयंती पर ऐसे पढ़ें श्री हनुमान चालीसा, होने लगेगी धन वैभव की प्राप्ति

3- अगर कोई शत्रु या कोई असाध्य रोग से परेशान हो रहे हो तो हनुमान जयंती के दिन हनुमान मंदिर में जाकर नीचे दिये मंत्र का जप 108 बार करने के बाद श्री हनुमान चालीसा का पाठ करें। शीघ्र ही शत्रुओं एवं रोग से मुक्ति मिलेगी।

मंत्र

।। ॐ नमो हनुमते रूद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा ।।

4- समस्त संकटों से मुक्ति के लिए हनुमान जयंती के दिन सुबह 4 से 6 बजे के बीच किसी प्राचीन हनुमान मंदिर में जाकर लाल ऊनी आसन पर बैठकर नीचे दिये हनुमान जी के सिद्ध मंत्र का 551 बार जप करने के बाद 7 बार श्री हनुमान चालीसा का पाठ करें।

मंत्र

।। ॐ नमो हनुमते रूद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा।।

**************