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Holi Muhurat : इस होलिका दहन इन खास बातों का रखें ध्यान, जानें मुहूर्त

locationभोपालPublished: Mar 08, 2021 12:05:29 pm

holika dahan 2021 Shubh Muhurat : होलिका दहन तिथि- रविवार, मार्च 28, 2021 को…

holika dahan 2021 Shubh Muhurat

holika dahan 2021 Shubh Muhurat

सनातन धर्म के प्रमुख त्यौहारों में दीपावली, होली, रक्षाबंधन और दशहरा आते हैं। ऐसे में अब जल्द ही इसी महीने होली का पर्व आने वाला है। होली का ये त्यौहार दो दिवसीय होता है। जो प्रहलाद से जुड़ी पौराणिक कथा है। होली के इस त्यौहार की शुरुआत होलिका दहन से होती है। होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। वहीं इसके अगले दिन रंगों का त्यौहार होली मनाया जाता है।
पुराणों के अनुसार दानवराज हिरण्यकश्यप ने जब देखा की उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु के अलावा किसी अन्य को नहीं भजता और न ही उसे भगवान मानता है। तो वह क्रुद्ध हो उठा और कई कोशिशों के बावजूद जब प्रहलाद अपनी भक्ति के रास्ते से नहीं हटा तो हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया की वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए।
इसके पीछे कारण यह था कि होलिका को वरदान में एक ऐसा वस्त्र प्राप्त था कि उसे अग्नि नुक़सान नहीं पहुंचा सकती थी। किन्तु हुआ इसके ठीक विपरीत – प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठी होलिका जलकर भस्म हो गयी और भक्त प्रह्लाद को कुछ भी नहीं हुआ। इसी घटना की याद में इस दिन होलिका दहन करने का विधान है।

पुराणों में होलिका दहन और पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि होली के इस त्यौहार से धन—धान्य की देवी माता लक्ष्मी का भी खास संबंध है। दरअसल जानकारों के अनुसार होलिका दहन के दिन होली की पूजा करने से महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी के साथ सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है।

ऐसे करें होलिका दहन…
होलिका दहन में जल से अर्घ्य दें। शुभ मुहूर्त में होलिका में स्वयं या परिवार के किसी वरिष्ठ सदस्य से अग्नि प्रज्जवलित कराएं। आग में किसी भी फसल को सेंक लें और अगले दिन इसे सपरिवार ग्रहण करें। माना जाता है कि ऐसा करने से परिवार के सदस्यों को रोगों से मुक्ति मिलती है। वहीं ये भी माना जाता है कि होलिका दहन के बाद उसी राख का टीका लगाने से बहुत सी व्याधियां दूर हो जाती हैं।

होलिका दहन के नियम
फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से फाल्गुन पूर्णिमा तक होलाष्टक माना जाता है, जिसमें शुभ कार्य वर्जित रहते हैं। पूर्णिमा के दिन होलिका-दहन किया जाता है। इसके मुख्यतः दो नियम हैं –
1. पहला, उस दिन “भद्रा” न हो। भद्रा का ही एक दूसरा नाम विष्टि करण भी है, जो कि 11 करणों में से एक है। एक करण तिथि के आधे भाग के बराबर होता है।
2. दूसरा, पूर्णिमा प्रदोषकाल-व्यापिनी होनी चाहिए। सरल शब्दों में कहें तो उस दिन सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्तों में पूर्णिमा तिथि होनी चाहिए।

होली 2021 की तारीख और शुभ मुहूर्त…

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – मार्च 28, 2021 को 03:27 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त – मार्च 29, 2021 को 00:17 बजे
होलिका दहन तिथि- रविवार, मार्च 28, 2021 को
होलिका दहन मुहूर्त – 18:36:38 से 20:56:23 तक
अवधि – 02 घंटे 19 मिनट
भद्रा पुंछा :10:27:50 से 11:30:34 तक
भद्रा मुखा :11:30:34 से 13:15:08 तक
होली 29, मार्च को

होलिका दहन के दिन क्या नहीं करना चाहिए-
1. इस दिन कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिए।
2. होलिका दहन के दिन सफेद खाद्य पदार्थ ग्रहण नहीं करना चाहिए।
3. होलिका दहन के समय सिर ढंककर ही पूजा करनी चाहिए।
4. नवविवाहित महिलाओं को होलिका दहन नहीं देखना चाहिए।
5. सास-बहू को एक साथ मिलकर होलिका दहन नहीं देखना चाहिए।

वहीं एक अन्य कथा के अनुसार, हिमालय पुत्री पार्वती चाहती थीं कि उनका विवाह भगवान शिव से हो जाये पर शिवजी अपनी तपस्या में लीन थे। कामदेव पार्वती की सहायता को आये। उन्होंने प्रेम बाण चलाया और भगवान शिव की तपस्या भंग हो गयी।

शिवजी को बड़ा क्रोध आया और उन्होंने अपनी तीसरी आंख खोल दी। उनके क्रोध की ज्वाला में कामदेव का शरीर भस्म हो गया। फिर शिवजी ने पार्वती को देखा। पार्वती की आराधना सफल हुई और शिवजी ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया। होली की आग में वासनात्मक आकर्षण को प्रतीकत्मक रूप से जला कर सच्चे प्रेम की विजय का उत्सव मनाया जाता है।

इसके अलावा प्राचीन विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हम्पी में 16वीं शताब्दी का चित्र मिला है जिसमें होली के पर्व को उकेरा गया है। ऐसे ही विंध्य पर्वतों के निकट स्थित रामगढ़ में मिले एक ईसा से 300 वर्ष पुराने अभिलेख में भी इसका उल्लेख मिलता है। कुछ लोग मानते हैं कि इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने पूतना नामक राक्षसी का वध किया था। इसी ख़ुशी में गोपियों ने उनके साथ होली खेली थी।

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