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आज है पुत्रदा एकादशी, इन उपायों को करने से चमक उठेगी किस्मत, संतान भी प्राप्त होती है

Published: Dec 29, 2017 12:53:45 pm

संतान प्राप्ति के लिए पुत्रदा एकादशी के व्रत को अमोघ माना गया है। इस व्रत को करने से संतान की समस्याओं का निवारण भी होता है।

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Mother Narmada’s Birthday Celebrated

शास्त्रों में पौष माह को बड़ा ही पावन महीना माना गया है। इस महीने की शुक्लपक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार यह एकादशी 29 दिसंबर (शुक्रवार) को मनाई जाएगी। संतान प्राप्ति के लिए पुत्रदा एकादशी के व्रत को अमोघ माना गया है। इस व्रत को करने से संतान की समस्याओं का निवारण भी होता है।
स्वयं श्रीकृष्ण ने बताई महिमा
पदम् पुराण के अनुसार परमेश्वर श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को एकादशी का महत्त्व बताते हुए कहा है कि भरपूर दक्षिणा वाले यज्ञों से भी मुझे उतना संतोष नहीं मिलता, जितना एकादशी व्रत के अनुष्ठान से मिलता है। जैसे नागों में शेषनाग, पक्षियों में गरूड़, देवताओं में श्री विष्णु तथा मनुष्यों में ब्राह्मण श्रेष्ठ हैं उसी प्रकार सम्पूर्ण व्रतों में एकादशी तिथि श्रेष्ठ और कल्याणकारी है।
अधिदेवता हैं श्री नारायण इस दिन समस्त कामनाओं तथा सिद्धियों के दाता भगवान श्री नारायण की उपासना करें। पीले पुष्प, ऋतुफल आदि अर्पित कर धूप-दीप से श्री हरि की आरती उतारकर दीप दान करें। शास्त्रों के अनुसार इस व्रत को करने से अग्निष्टोम यज्ञ का फल मिलता है। इस दिन भक्तों को परनिंदा, छल-कपट, लालच की भावनाओं से दूर रहकर श्री नारायण को ध्यान में रखते हुए भक्तिभाव से व्रत करना चाहिए।
व्रत का कथानक
भद्रावतीपुरी में राजा सुकेतुमान राज्य करते थे। उनकी रानी का नाम चंपा था। विवाह के काफी समय बाद भी राजा-रानी संतान सुख से वंचित थे। एक दिन दुखी होकर राजा घोड़े पर सवार होकर बीहड़ वन में चले गए। वहां राजा को एक सुन्दर सरोवर के पास कुछ वेद पाठ करते हुए मुनि दिखाई पड़े। राजा मुनियों के पास पहुंचे और उन्हें प्रणाम किया। राजा ने उन्हें संतानहीनता का दुख बताया और इसका उपचार भी पूछा।
मुनियों ने राजा से कहा कि आपने बड़े ही शुभ दिन यह प्रश्न किया है, आज पौष शुक्ल एकादशी तिथि है। इसके बाद मुनियों के द्वारा बताई गई विधि से राजा ने पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा। इस व्रत के पुण्य से रानी ने कुछ समय बाद एक तेजस्वी पुत्र को जन्म दिया। बड़ा होकर राजा का यह पुत्र धर्मात्मा और प्रजापालक हुआ।
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