पदम् पुराण के अनुसार परमेश्वर श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को एकादशी का महत्त्व बताते हुए कहा है कि भरपूर दक्षिणा वाले यज्ञों से भी मुझे उतना संतोष नहीं मिलता, जितना एकादशी व्रत के अनुष्ठान से मिलता है। जैसे नागों में शेषनाग, पक्षियों में गरूड़, देवताओं में श्री विष्णु तथा मनुष्यों में ब्राह्मण श्रेष्ठ हैं उसी प्रकार सम्पूर्ण व्रतों में एकादशी तिथि श्रेष्ठ और कल्याणकारी है।
भद्रावतीपुरी में राजा सुकेतुमान राज्य करते थे। उनकी रानी का नाम चंपा था। विवाह के काफी समय बाद भी राजा-रानी संतान सुख से वंचित थे। एक दिन दुखी होकर राजा घोड़े पर सवार होकर बीहड़ वन में चले गए। वहां राजा को एक सुन्दर सरोवर के पास कुछ वेद पाठ करते हुए मुनि दिखाई पड़े। राजा मुनियों के पास पहुंचे और उन्हें प्रणाम किया। राजा ने उन्हें संतानहीनता का दुख बताया और इसका उपचार भी पूछा।