ज्योतिष शास्त्र के नियमानुसार सूर्य जिस दिन मेष राशि में प्रवेश करें उस दिन जो वार हो उस वार का स्वामी मंत्री पद प्राप्त करता है। इस नियमानुसार 14 अप्रेल को शनिवार है और शनि नव संवत्सर 2075 के मंत्री हैं। सौर संसद में मंत्री बने शनि इस दिन से अपने पद पर प्रभावी हो जाएंगे और संवत्सर के राजा सूर्य को सहयोगी के रूप में मंत्री मिल जाएगा।
अक्षय तृतीया से शुरू होगी शहनाई की गूंज
सूर्य के राशि परिवर्तन के बाद 18 अप्रेल को अक्षय तृतीया (स्वयंसिद्ध यानी अबूझ मुहूर्त) का पहला सावा रहेगा। इस दिन किया गया कोई भी शुभ कर्म अक्षय पुण्य प्रदान करता है। अक्षय तृतीया से ही मांगलिक कार्यों का दौर शुरू हो जाएगा जो कि 23 जुलाई को देवशयनी एकादशी तक चलेगा। 16 मई से 13 जून तक अधिकमास होने से इस दौरान भी विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं हो सकेंगे। शादियों के लिए कपड़ा, बर्तन, आभूषण, खाद्य सामग्री सहित अन्य चीजों की खरीददारी परवान पर दिख रही है।
शनिदेव भी होंगे वक्री इसके साथ ही इस वर्ष 18 अप्रैल 2018 (बुधवार) को सुबह 7.10 बजे शनि धनु राशि में वक्री हो जा रहे हैं। शनि ग्रह की वक्र गति 6 सितंबर 2018 (गुरुवार) को सायं 05.02 बजे तक रहेगी, उसके बाद धनु राशि में ही शनि वक्री से मार्गी हो जाएंगे। इस तरह कुल 142 दिन शनि वक्री रहेंगे जिसका सभी राशियों पर न्यूनाधिक असर पड़ेगा। जिन राशियों को शनि की ढैय्या अथवा साढ़े साती अथवा महादशा चल रही हैं, वो शनि की इस वक्र गति से सर्वाधिक प्रभावित होंगे। पंडित लक्ष्मीनारायण शर्मा के अनुसार शनि का वक्री होना भी कई राशियों के लिए बहुत ही शुभ रहने वाला है तो जानिए वक्री शनि किन राशियों के लिए शुभ और अशुभ रहेंगे।