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इस दिन हुआ था भगवान विष्णु का मत्स्यावतार, जानें शिव क्यों कहलाए त्रिपुरारी

locationभोपालPublished: Nov 11, 2019 04:34:47 pm

Submitted by:

Devendra Kashyap

कार्तिक पूर्णिमा के दिन धार्मिक कार्य करने से उसका फल दोगुना प्राप्त होता है।

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12 नवंबर ( मंगलवार ) को कार्तिक पूर्णिमा है। मान्यता है कि इस दिन भोलेनाथ की पूजा करने से व्यक्ति सात जन्म तक ज्ञानी और धनवान होता है। इसके अलावा ये भी कहा जाता है कि इस दिन धार्मिक कार्य करने से उसका फल दोगुना प्राप्त होता है। यही कारण है कि इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है।

भगवान विष्णु का मत्स्यावतार

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही संध्या काल में भगवान विष्णु का मत्स्यावतार हुआ था। यही कारण इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है। इसके अलावा इसी दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक असुर का संहार किया था। यही कारण है कि भगवान शिव को त्रिपुरारी कहा जाता है।

6 कृतिकाओं का पूजन से प्राप्त भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है

मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्रोद्य के वक्त शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा इन 6 कृतिकाओं का पूजन करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। कहा जाता है कि आज के दिन गंगा स्नान करने से भी पूरे वर्ष स्नान करने का फल मिलता है। गंगा स्नान के बाद दीप दान का भी बहुत ही महत्व है।

कार्तिक पूर्णिमा की पूजन विधि

कहा जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान अवश्य करना चाहिए। अगर गंगा स्नान करना संभव ना हो तो नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। स्नान करने के बाद गाय, दूध, केले, खजूर, अमरूद, चावल, तिल और आंवले का दान करें।

वस्त्र दान जरूर करें

कार्तिक पूर्णिमा के दिन गांग स्नान करने के पश्चात पूजा पाठ अवश्य करें। इसके अलावा इस दिन वस्त्र दान करना सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन जितना हो सके दान करना चाहिए। खासकर ब्राह्मण, बहन और बुआ को अपनी श्रद्धा के अनुसार वस्त्र और दक्षिणा जरूर देना चाहिए।
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