ये भी पढ़ें- Dahi Handi 2019 : 23-24 अगस्त को जन्माष्टमी, जानें कब मनाया जाएगा दही हांडी उत्सव अगर पंचांग को देखें तो अष्टमी तिथि 23 अगस्त ( शुक्रवार ) की सुबह 8.09 बजे से शुरू हो रही है और 24 अगस्त की सुबह 8.32 बजे खत्म हो जाएगी। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भादो ( Bhado ) महीना के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। ऐसे में सवाल उठता है कि सप्तमी युक्त अष्टमी को भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाना चाहिए?
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार… “वर्जनीया प्रयत्नेन सप्तमीसंयुताष्टमी” अर्थात सप्तमी से संयुक्त अष्टमी का प्रयत्न पूर्वक त्याग कर देना चाहिये । कलाकाष्ठामुहूर्तापि यदा कृष्ण अष्टमी तिथि:। नवम्यां चैव ग्राह्या स्यात् सप्तमी संयुता नहि।।
वैष्णववास्तु “अर्द्धरात्रिव्यापिनिमपी रोहिणीयुतामपि सप्तमीविद्धान परित्यज्य नवमीयुतैव ग्राह्या, इति नृसिंह परिचर्याद्यनुयायिन:
अग्नि पुराण में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के संबंध में लिखा गया है… वर्जनीय प्रयत्नेन सप्तमी संयुता अष्टमी।
बिना ऋक्षेण कर्तव्या नवमी संयुता अष्टमी। अर्थात जिस दिन सूर्योदय में सप्तमी बेधित अष्टमी हो और रोहिणी नक्षत्र हो तो उस दिन व्रत नहीं रखना चाहिए। नवमी युक्त अष्टमी को ही व्रत रखना चाहिए।
पद्म पुराण के अनुसार… पुत्रां हन्ति पशून हन्ति, हन्ति राष्ट्रम सराजकम।
हन्ति जातान जातानश्च, सप्तमी षित अष्टमी। अर्थात अष्टमी यदि सप्तमी विद्धा हो और उसमें उपवास करते हैं तो पुत्र, पशु, राज्य, राष्ट्र, जात, अजात, सबको नष्ट कर देती है।