आराधना से होंगे नारायण प्रसन्न
महाभारत के अनुशासन पर्व में माघ माह के स्नान, दान, उपवास और माधव पूजा का महत्त्व बताते हुए कहा गया है कि इन दिनों में प्रयागराज में अनेक तीर्थों का समागम होता है इसलिए जो प्रयाग या अन्य पवित्र नदियों में भी भक्तिभाव से स्नान करते हैं, वह तमाम पापों से मुक्त होकर स्वर्गलोक के अधिकारी हो जाते है। इस माह के महत्त्व पर तुलसीदास जी ने श्री रामचरित्र मानस के बालखंड में लिखा है। माघ स्नान से शरीर के पाप जलकर भस्म हो जाते है। इस मास में पूजन-अर्चना व स्नान करने से भगवान नारायण को प्राप्त किया जा सकता है।
महाभारत के अनुशासन पर्व में माघ माह के स्नान, दान, उपवास और माधव पूजा का महत्त्व बताते हुए कहा गया है कि इन दिनों में प्रयागराज में अनेक तीर्थों का समागम होता है इसलिए जो प्रयाग या अन्य पवित्र नदियों में भी भक्तिभाव से स्नान करते हैं, वह तमाम पापों से मुक्त होकर स्वर्गलोक के अधिकारी हो जाते है। इस माह के महत्त्व पर तुलसीदास जी ने श्री रामचरित्र मानस के बालखंड में लिखा है। माघ स्नान से शरीर के पाप जलकर भस्म हो जाते है। इस मास में पूजन-अर्चना व स्नान करने से भगवान नारायण को प्राप्त किया जा सकता है।
प्रयाग में 3 बार स्नान फलदायी
माघ स्नान का उत्तम समय सूर्योदय से पूर्व माना जाता है। कहते हैं कि ब्रह्मा, विष्णु, महेश, आदित्य तथा अन्य सभी देवी-देवता माघ में संगम स्नान करते हैं। प्रयाग में माघ मास में तीन बार स्नान करने का फल दस हजार अश्वमेघ यज्ञ से भी ज्यादा होता है। पदमपुराण के अनुसार पूजा, तपस्या, यज्ञ आदि से भी श्री हरि को उतनी प्रसन्नता नहीं होती, जितनी कि माघ महीने में प्रात: स्नान कर भगवान सूर्य को अघ्र्य देने से होती है। इसलिए सभी पापों से मुक्ति और भगवान वासुदेव की प्रीति प्राप्त करने के लिए प्रत्येक मनुष्य को माघ स्नान कर सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्य को अघ्र्य अवश्य प्रदान करना चाहिए।
माघ स्नान का उत्तम समय सूर्योदय से पूर्व माना जाता है। कहते हैं कि ब्रह्मा, विष्णु, महेश, आदित्य तथा अन्य सभी देवी-देवता माघ में संगम स्नान करते हैं। प्रयाग में माघ मास में तीन बार स्नान करने का फल दस हजार अश्वमेघ यज्ञ से भी ज्यादा होता है। पदमपुराण के अनुसार पूजा, तपस्या, यज्ञ आदि से भी श्री हरि को उतनी प्रसन्नता नहीं होती, जितनी कि माघ महीने में प्रात: स्नान कर भगवान सूर्य को अघ्र्य देने से होती है। इसलिए सभी पापों से मुक्ति और भगवान वासुदेव की प्रीति प्राप्त करने के लिए प्रत्येक मनुष्य को माघ स्नान कर सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्य को अघ्र्य अवश्य प्रदान करना चाहिए।