दोनों गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की सार्वजनिक पूजा उपासना नहीं की जाती। इन दोनों नवरात्रि में मां दुर्गा के अलावा भगवान शिव एवं माता पार्वती के अर्धनारीश्वर महाशक्ति रूप की गुप्त रूप से पूजा आराधना की जाती है। जिस प्रकार शारदीय और चैत्र नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, उसी तरह गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्या की पूजा की जाती है।
गुप्त नवरात्रि के नौ दिनों में क्रमशः काली, तारा, षोडशी ( त्रिपुर सुंदरी ) भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमवाती, बंगलामुखी, मतंगी और लक्ष्मी देवी की उपासना की जाती है। माघ गुप्त नवरात्रि के दौरान देवी के साधक पूजा से संबंधित कड़े नियमों का पालन करते हैं।
क्यों कहा जाता है गुप्त नवरात्रि? माघ मास की नवरात्रि को गुप्त नवरात्र कहते हैं, क्योंकि इसमें गुप्त रूप से शिव व महाशक्ति की उपासना की जाती है। जबकि चैत्र और शारदीय नवरात्र में सार्वजनिक रूप में माता दुर्गा की उपासना की जाती है। शास्त्रों में गुप्त नवरात्रि को विशेष रूप से गुप्त सिद्धियों को प्राप्त करने का साधना काल बताया गया है। इनका महत्व जानने वाले साधक गुप्त नवरात्रि में गुप्त रूप से विशेष साधना कर अनेक ऋद्धि सिद्धि प्राप्त करते हैं।
कब से माघ गुप्त नवरात्रि? इस बार माघ गुप्त नवरात्रि 25 जनवरी से शुरू होकर 04 फरवरी तक चलने वाला है। माघ नवरात्रि के लिए घट स्थापना 25 जनवरी ( शनिवार ) को की जाएगी। घट स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 09.48 बजे से लेकर 10. 47 बजे तक है। इसके अलावा घट स्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:12 बजे से 12:55 बजे तक है।