scriptमहर्षि वाल्मीकि जयंती 13 अक्टूबर 2019 : जानें एक डाकू कैसे भगवान राम की जीवन गाथा रामायण महाकाव्य के पहले रचनाकार बन गए | Maharishi Valmiki Jayanti 13 October 2019 | Patrika News

महर्षि वाल्मीकि जयंती 13 अक्टूबर 2019 : जानें एक डाकू कैसे भगवान राम की जीवन गाथा रामायण महाकाव्य के पहले रचनाकार बन गए

locationभोपालPublished: Oct 12, 2019 12:55:21 pm

Submitted by:

Shyam

Maharishi Valmiki Jayanti : जानें एक डाकू कैसे भगवान राम की जीवन गाथा रामायण महाकाव्य के पहले रचनाकार बन गए

महर्षि वाल्मिकि जयंती 13 अक्टूबर 2019 : जानें एक डाकू कैसे भगवान राम की जीवन गाथा रामायण महाकाव्य के पहले रचनाकार बन गए

महर्षि वाल्मिकि जयंती 13 अक्टूबर 2019 : जानें एक डाकू कैसे भगवान राम की जीवन गाथा रामायण महाकाव्य के पहले रचनाकार बन गए

भगवान श्रीराम की संपूर्ण जीवन गाथा रामायण महाकाव्य के प्रथम रचनाकार महर्षि वाल्मीकि की जन्म जयंती प्रतिवर्ष आश्विन मास की शरद पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। महर्षि वाल्मीकि जी का जन्म ऋषि कश्यप व ऋषि माता अदिति की नौवीं संतान वरूण और उनकी पत्नी चर्षणी के पुत्र के रूप में हुआ ऐसा वर्णन प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। जानें वाल्मीकि जयंती पर एक डाकू महर्षि वाल्मीकि कैसे बन गया।

 

शरद पूर्णिमा की रात चांद को दे गाय के दूध का अर्घ्य, सप्ताह भर में होने लगेगी इच्छा पूरी


प्राचीन कथाओं के अनुसार रत्नाकर (महर्षि वाल्मीकि) ने कठोर तप किया था जिस कारण उनका नाम महर्षि वाल्मीकि पड़ गया। एक समय महर्षि वाल्मीकि ध्यान में इनते लीन हो गए की उनके पूरे शरीर पर दीमकों ने अपना घर बना लिया। जब वाल्मीकि जी की साधना पूरी हुई तो वे दीमकों के घर से बाहर निकले, संस्कृत में दीमकों के घर को वाल्मीकि कहा जाता है, तभी से उनका नाम महर्षि वाल्मीकि पड़ गया।

महर्षि वाल्मिकि जयंती 13 अक्टूबर 2019 : जानें एक डाकू कैसे भगवान राम की जीवन गाथा रामायण महाकाव्य के पहले रचनाकार बन गए

रत्नाकर डाकू

महर्षि वाल्मीकि बनने से पहले वे एक रत्नाकर नामक डाकू थे, जिनका पालन-पोषण भील समाज में हुआ था। महर्षि वाल्मीकि जी को बचपन में ही उनके वास्तविक माता-पिता से एक भीलनी ने ने चुरा लिया था, जिसके कारण उनका पालन-पोषण एक भील समाज में होने के कारण वे डाकू बन गए। एक दिन देवर्षि नारद जी ने उनको सही मार्गदर्शन किया और राम नाम जपने की प्रेरणा दी और रत्नाकर डाकू राम नाम की जगह मरा-मरा जपने लगे।

महर्षि वाल्मिकि जयंती 13 अक्टूबर 2019 : जानें एक डाकू कैसे भगवान राम की जीवन गाथा रामायण महाकाव्य के पहले रचनाकार बन गए

रत्नाकर डाकू ने लंबे समय कर भगवन नाम का श्रद्धापूर्वक जप किया। परम पिता परमेश्वर ब्रह्मा की कृपा रत्नाकर पर हुई और वे रत्नाकर से महान महर्ष वाल्मिकी बन गए। ब्रह्मा जी ने उन्हें भगवान श्रीराम की सम्पूर्ण जीवन गाथा लिखने की प्रेरणा व मार्गदर्शन किया और महर्षि वाल्मीकि रामायण महाकाव्य का प्रथम रचनाकार बन गए। भगवान राम की भार्या भगवती सीता माता वाल्मीकि जी के आश्रम में ही निवास करती थी एवं उनके दोनों पुत्र लव-कुश की पूरी शिक्षा वाल्मीकि जी के संरक्षण में ही पूरी हुई।

*********

महर्षि वाल्मिकि जयंती 13 अक्टूबर 2019 : जानें एक डाकू कैसे भगवान राम की जीवन गाथा रामायण महाकाव्य के पहले रचनाकार बन गए
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो