scriptमार्गशीर्ष सोमवती अमावस्या पर पड़ेगा साल 2020 का आखिरी खग्रास सूर्य ग्रहण, जानें मुहूर्त,पूजा विधि और महत्व | Margashirsha Somvati Amavasya is on 14 December 2020 Monday | Patrika News

मार्गशीर्ष सोमवती अमावस्या पर पड़ेगा साल 2020 का आखिरी खग्रास सूर्य ग्रहण, जानें मुहूर्त,पूजा विधि और महत्व

locationभोपालPublished: Dec 10, 2020 10:49:27 am

14 दिसंबर 2020 (सोमवार) को है मार्गशीर्ष सोमवती अमावस्या…

Margashirsha Somvati Amavasya is on 14 December 2020 Monday

Margashirsha Somvati Amavasya is on 14 December 2020 Monday

सनातन धर्म में चंद्र की कलाओं के आधार पर पड़ने वाली पूर्णिमा व अमावस्या का खास महत्व है। ऐसे में मार्गशीर्ष सोमवती अमावस्या इस साल यानि 2020 में 14 दिसंबर 2020 (सोमवार) को पड़ रही है। हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह में आने वाली अमावस्या मार्गशीर्ष अमावस्या कहलाती है, इसे अगहन अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन पितरों की शांति के लिए तर्पण, स्नान, दान-धर्म आदि कार्य किये जाने का विधान है। मार्गशीर्ष अमावस्या पर देवी माता लक्ष्मी का पूजन करना भी शुभ माना जाता है।

मार्गशीर्ष अमावस्या मुहूर्त…
दिसंबर 14, 2020 को 00:46:54 से अमावस्या आरम्भ
दिसंबर 14, 2020 को 21:48:26 पर अमावस्या समाप्त

मार्गशीर्ष अमावस्या व्रत और पूजा विधि
पितरों के तर्पण के लिए मार्गशीर्ष अमावस्या का बड़ा महत्व है। इस दिन व्रत रखने से पितरों का पूजन और व्रत रखने से उनका आशीर्वाद मिलता है। इस दिन होने वाले धार्मिक कर्म इस प्रकार हैं-

: प्रातःकाल किसी पवित्र नदी, तालाब या कुंड में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य दें। स्नान के बाद बहते हुए जल में तिल प्रवाहित करें व गायत्री मंत्र का पाठ करें।
: कुल परंपरा के अनुसार भगवान विष्णु या भगवान शिव का पूजन करें।
: नदी के तट पर पितरों के निमित्त तर्पण करें और उनके मोक्ष की कामना करें।
: मार्गशीर्ष अमावस्या का व्रत रखने वाले व्यक्ति को इस दिन जल ग्रहण नहीं करना चाहिए।
: पूजा-पाठ के बाद भोजन और वस्त्र आदि का यथाशक्ति किसी जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को दान करें।

सत्यनारायण पूजा
मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन पितरों की आत्म शांति और उनकी कृपा पाने के लिए पूजा-पाठ और व्रत रखा जाता है। इसके अलावा इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा भी की जाती है। पूजा स्थल पर भगवान सत्यनारायण और देवी माता लक्ष्मी का चित्र रखा जाता है। इसके बाद विधिवत तरीके से पूजा की जाती है और हलवे का भोग लगाया जाता है। भगवान सत्यनारायण की कथा का पाठ करने के बाद पूजा संपन्न होती है और श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद का बांटा जाता है।

मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व
प्रत्येक अमावस्या की भांति मार्गशीर्ष अमावस्या पर भी पितरों को तर्पण करने का विधान है, अतः इस दिन किये जाने वाले पूजा-पाठ से पितरों को आत्म शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन तर्पण और पिंड दान करने का विशेष महत्व है। मार्गशीर्ष अमावस्या का व्रत रखने से समस्याओं का अंत होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

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